दिवंगत सोवना दत्त की याद में दिल्ली में हुई प्रार्थना-सभा आयोजित

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इंसानियत की प्रतिमूर्ति थीं सोवना दत्तः ए आर आज़ाद

मुझे फ़ख़्र है कि वो इंसान बनी रहीः सुरेश भाई

सोवना दत्त सही मायने में समाज और महिला जगत के लिए एक प्रेरक और प्रेरणादायकः जैना सिप्पी

 

बीते 14 अक्तूबर, 2023 को खादी, गांधी एवं रचनात्मक जगत की नामबर हस्ती सुरेश दत्त (सुरेश भाई के नाम से मशहूर) की जीवन-संगिनी दिववंगत सोवना दत्त की तेरहवीं मनाई गईं। प्रार्थना-सभा का आयोजन नई दिल्ली के ग्रेटर कैलाश पार्ट टू स्थित आर्य समाज में संपन्न हुआ। इस मौके पर सर्वधर्म प्रार्थना सभा भी आयोजित की गई। कायर्यक्रम की शुरूआत दो मिनट की मौन-श्रद्धांजलि से हुई। उसके बाद पुष्पांजिल अर्पित की गई। इसके बाद बांगला भजन आयोजित हुई। इसे सुप्रीम कोर्ट की सुविख्यात एवं वरिष्ठ वकील नंदिनी सेन ने अपनी टीम के साथ-साथ गाया। इस भजन कार्यक्रम में सुरेश दत्त एवं दिवंगत सोवना दत्त की सुपुत्री दिव्या दत्त ने भी सहयोगी की भूमिका निभाई।

प्रार्थना-सभा को संबोधन करने वालों में दिव्या दत्त सर्वप्रथम थीं। उन्होंने संवेदना उकेरते हुए और मां की ममता को ज़ाहिर करते हुए कहा कि Dear Maa,

Today we all have gathered not to mourn but to pray that where ever you are you stay happy and  in peace.

Never thought that this day would also come as I was so obessed with you of not leaving me ever.

They all say that stay strong but its hard as you were my strength.

These few months have been really painful for you and now we just pray that where ever you are you in a better place and with no pain.

I am sorry Maa that I had to take you to Hospital .I wish god had grant you more time with us.

I miss your voice and crave  to hear Rinku Rinku from you.

Socha tha jab ap theek hojaoge apke saath hum phr kahi jayege but kya pata tha ki mujhe apki asthi visarjan k liye jana padega .

Me & Babai are trying to live life without our life and with all ur lovely memories.

I promise that I will take care of babai and try not to fight or argue with him kyunki ab ap ho nahi unki shikayat karne k liye .

Hope you watching us from there and showering your blessings on us.

Love you today and always Maa.

दिव्या दत्त के बाद उनकी मुंबई से आई सहेली जैना सिप्पी ने अपने मार्मिक-भाव बड़ी भावुकता से पेश की। उन्होंने कहा कि हमारी और दिव्या की दोस्ती कोरोना के ज़माने में हुई। और ये मित्रता रोज़ ब रोज़ बढ़ती ही चली गई। यह हमारा दुर्भाग्य है कि मेरी मुलाक़ात आंटी (दिवंगत सोवना दत्त) से नहीं हो सकी। लेकिन हमने उनके बारे में जो कुछ भी सुना उससे मैं उनसे प्रभावित हूं। उन्होंने दिव्या दत्त को भरोसा दिलाते हुए कहा कि हम साथ हैं। और हमारा साथ हमेशा इसी तरह मिलता रहेगा। उन्होंने दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की। और शोकाकुल परिवार को इस ग़म की घड़ी से जल्दी उबर पाने की शक्ति प्रदान करने की बाहेगुरु से विनती की। उन्होंने कहा कि दिवंगत सोवना दत्त सही मायने में समाज और महिला जगत के लिए एक प्रेरक और प्रेरणादायक हैं।

इस अवसर पर दिवंगत सोवना दत्त के बहन-भाई करुणा लोध एवं सव्य साची लोध के मार्मिक संदेश को सुरेश दत्त ने पढ़ा। संदेश था,-

Our loving, most loved sister SOVONA ( Aknam khuku) left us on the 2nd oct, rather taken away

She was the 9th child, and the Youngest daughter of late Sh. Pratap chandra Lodh and late shreematee Subala Lodh.

Her education in the beginning was in Jamshedpur, her birth place, Completed BSC from Kurukshetra University and Past graduation in Science from Allahabad University. After completing post graduation she took to teaching in Convent Schools in Jamshedpur and Ranchi.. She was teaching higher classes. Most popular in students and colleagues

As a young lady, she enjoyed singing acting in dramas / plays with elder brother. Loved Shakespeare books(Hamlet & Macbeth) She had a talent in Art, did Course from Shantiniketan in Batik work dying. drawing and painting.

Our parents never allowed us doing Cooking. Do not know how she became a Cook / chef par excellence in Varies faculties of Variety of Cousines (be it Chinese, north Indian, South Indian, Mughlai Continental, Punjabi and Some gujarati  too, in addition to Bengali). May be with her other half support and encouragement.

Wonder how she managed to carry her life. Our parents teaching doing pooja daily and accompany them to the temple do Bhajans etc.

what we are missing most is her dedication, her determination  Tremendous untiring will power to face sufferings and most arduous situations, supportive nature. kindness, whenever, whoever equally to both the families of lodhs and her father in laws. A perfect balance We have lost our most trusted, all rounder guide care friend sister.

After marrying Suresh. She went to England twice, on the first visit, she visited France Germany, Italy, Switzerland and part of the Europe. On the 2nd visit. She
studied Electrolyses Course, and completed by securing 92% marks leaving for behind Europeans. Became a member of prestigious BABTAC also Completed a Course in cosmotology from Paris.

Among the brothers & sisters, most loved most talented laborious, enterprising finding way out in the most difficult times by her composure, keeping her Cool and Ideal daughter, ideal life partner and equally as daughter in law.

इस कार्यक्रम में ज्ञानी मंजित सिंह ने गुरवाणी के केंद्र में अपने विचार रखे। उसी क्रम में दूसरा मत के संपादक ए आर आज़ाद ने इस्लाम और हिंदू धर्म को केंन्द्र विन्दु रखते हुए आत्मा पर प्रकाश डाला। और दिवंगत सोवना दत्त को इंसानियत की प्रर्तिमूर्ति बताया। और कहा कि सुरेश दत्त बड़े भाग्यशाली हैं कि उन्हें जीवन-संगिनी के रूप में सोवना दत्त मिलीं।

प्रार्थना-सभा को संबोधित करते हुए सुरेश दत्त ने अपनी दिवंगत पत्नी को बड़े ही मार्मिक अंदाज़ में याद किया। उन्होंने कहा कि आप सभी प्रबुद्धजनों को मेरा नमस्कार। आपने अपना अनमोल समय निकाल कर मेरी अर्धांगिनीजीवन-संगिनी की तेरहवीं यानी शोक-सभा में शिकरत की है, इसके लिए मैं आपका साधुवाद करता हूं। और आभार व्यक्त करता हूं।

बहरहाल मेरी कैफ़ियत तक़रीबन ऐसी है कि उनसे जुड़ी हुईं अनगिनत यादें मेरी वाबस्ता हैं। और ऐसे में कुछ कहना दर हक़ीक़त मेरे लिए कितनी तकलीफ़ देह है, यह समझना भी मेरे लिए दर्द से पड़े है।

मैं माज़रतख़्वाह हूं अपनी Soulmate कि मैं उनसे किया अपना क़ौल पूरा करने में नाकाम रहा। हमने यह सोचा था, आपस में एक-दूसरे से वादा ही कह सकते हैं कि उन्हें हॉस्पिटल (जिन्हें हम Butcher House कहते थे) लेकर नहीं जाऊंगा। और उनकी आख़िरी सांसे घर में और मेरी गोद में निकले।

बेहद दिक़्क़त तकलीफ़ का दौर रहा पिछले महीनों का। इस बात का एहतराफ़ करने में कोई हिचक नहीं कि मैं अपना क़ौल पूरा नहीं कर सका। गो कि मेरी मंशा दर हक़ीक़त ऐसी नहीं ही थी। बेख़ुदी में वो हो गया, जिसका अफ़सोस और मलाल ताउम्र रहेगा। जो कुछ भी मैं उनके बारे में कहूं, उससे वो कहीं ज़्यादा अज़ीमतर रहेंगी। उन्हें मुझे उनका Soulmate होने का फ़ैज़ मिला। और मैं तब यह कहना चाहूंगा-

फ़रिश्ते से बेहतर है इंसान बनना

लेकिन इसमें लगती है मेहनत ज़्यादा

मुझे फ़ख़्र है कि वो इंसान बनी रहीं।

She was an embodiment of human relationship. A symbol of Compassionate humanism, humility decency, Aristocratic nature touch of royalty ‘ in attire and carrying herself with aplomb.

An artistic by nature, a presenter. par excellence A very good singer, a fine sense off music blend of  classical, instrumental and modern. moreover her feat was exhibited in her soul mates presence only.

सुकून ए दिल के लिए कुछ तो एहतमाम करूं

ज़रा नज़र जो मिले तो फिर तुम्हें सलाम करूं

मुझे तो होश नहीं आप मशवरा दीजिए

कहां से छेड़ूं फसाना कहां से तमाम करूं

तुम तो चली गई मेरी मल्लिका ए तरन्नुम, मेरी मल्लिका ए हुस्न, मेरी हमसफ़र, मेरे दिल के तारों पर सुरबहार बजाने वाली, मेरे थके दिमाग़ को शांति देने वाली, मेरे दिल को सुकून पहुंचाने वाली, मुझे हर घड़ी हौसला देने वाली, मेरे गले का हार।

साथ निभाने वाले एक-दूसरे में कमियां नहीं ढ़ूंढ़ते। ख़ूबियां ढूंढ़ते हैं। कमी ढूंढ़नी ही है तो अपनी ढ़ूंढ़ते हैं। हम ऐसे हमसफ़र रहे जो ज़िंदगी भर ऐसे ही सफ़र करते रहे।

मैंने समझा था कि तू है तो दरख़्शां है हयात

तेरी सूरत से है आलम में बहारों को सवात

तेरी आंखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या है..

My dear, You have been my  Strength all along. We have faced the most, difficult Crisis times together and i have nо hesitation in saying, it won’t thave been possible, without your rock solid support

I prayed we were granted to spend togather few more years in each others company. But that was not to be.

आख़िरी कुछ हफ़्तों में ऐसा लगता था जैसे कि तुम मुझ से कुछ कह रही हो। अपनी चुप होती जा रही ज़िंदगी में तुम मुझे शायद यही कहना चाहती रही,

और कुछ वक़्त मेरा साथ देते रहो मेरे हमसफ़र

चल दिए हम तो मयस्सर नहीं होने वाले !

नदी में जैसे लहरों के चढ़ाव-उतार में कश्ती डूबती, निकलती, झकझोले खाती झंझावातों से निकलने की कोशिश में डगमगाती है, वैसे ही कुछ हाल पिछले क़रीब एक बरस या कमोबेश, हम दोनों के जीवनचक्र के रहे हैं। आशा-निराशा, अवसाद में से निकलने की कोशिश करते तुम थक कर पस्त हो गई, हार गई। और इस बीच मैं खड़ा तुमको हारते, ख़ुद को हारते ठगा हुआ महसूस करने को अभिशप्त हो गया। लगता है मानों ईश्वर ने किस जाने-अनजाने पाप का यह भारी दंड मुझे दे डाला। इस जन्म का, पिछले जन्म का, इसका जवाब कौन दे? नेपथ्य से, अंधेरे से पूछता रहता हूं कि क्या कभी जवाब आएगा? नहीं ही। क्योंकि ईश्वर तो कभी भी किसी के जवाब का उत्तरदायी नहीं रहा है।

काश! हम कुछ और वक़्त साथ गुज़ारने की हसरतों को पूरा कर पाते। तुम्हारे बिना मैं अधूरा रह गया। एकदम तन्हा रह गया। पर यही मेरी नियति है। अगर अगला जन्म मिले। और मुझसे मेरी हसरत पूछी जाए तो मैं कहूंगा कि मेरी हसरत यह है कि हम-तुम दोबारा मिलें। और मैं तुम्हारे लिए वो कर पाऊं, जो इस जन्म में बाक़ी, अधूरा रह गया।

ये ज़िंदगी के मेले दुनिया में कम न होंगे

अफ़सोस हम न होंगे

इक दिन पड़ेगा जाना, क्या वक़्त क्या ज़माना

बिगड़ेगी और बनेगी, दुनिया यहीं रहेगी

ज़िंदगी में ऐसे पल आते हैं, जो नाक़ाबिल ए बर्दाश्त दर्द देते हैं। उन पलों का दर्द आंसुओं से कहीं बढ़कर निकलता है। हमारे भी दर्द कुछ ऐसे ही हैं।

अब ज़िंदगी का बाक़ी सफ़र तो मुझे तुम्हारी-हमारी बेटी आंखों का तारा (आमादेर चोखेर मणि) के लिए उसके साथ गुज़ारने की कोशश में कामयाब होने की तरफ़ क़दम रखते हुए काटना है। तुम एक नायाब हीरे को बेटी की शक़्ल में मेरा साथ देने के लिए छोड़ गई हो।

The light that illuminated the better and major part of my life,  will continue to guide and illuminate my path ahead in the remaining years. of my life to come.

I am trying hard heardest an attempt to learn to live life without my life.

O my soulmate, I adored you and continue to do so,The woods are dark, dense and deep. But I have promises to keep. And miles to go before I sleep And miles to before. I sleep.

 हमारे बाद इस महफ़िल में अफ़साने बयां होंगे,

बहारें फिर भी आएंगी

न जाने हम कहां होंगे

यही तो तुम कहा करती थी, तुम्हारे हक़ में दुआएं मैं सुबह-शाम करूं।

What an independent lady You have been all your life.

मगर आख़िर में उम्र भर चलते रहे, मगर कंधों पर आए आख़िरी सफ़र पर कुछ क़दम के वास्ते ग़ैरों का एहसान हो गया।

ऐ! मेरी हमदम,  ऐ! मेरी हमसफ़र, ऐ! मेरी ज़िंदगी,

मेरी मुट्ठी से बालू सरकते जाना चाहती है। मेरी ज़िंदगी मुझसे भी थक जाने को कहती है। मैं अपनी लड़खड़ाहट से परेशान हूं। मगर हमारी बेटी मुझसे दूर तलक और देर तलक साथ चलने को कहती है। लेकिन—

एक तरफ़ तुम्हारी यादें

दूसरी तरफ़ हमारी बेटी का प्यार

लगता तुम बिन जीवन व्यर्थ-बेकार

मेरे हमसफ़र मेरी दुआ है

तुम्हारा ध्यान रखेगा प्रभु, परवरदिगार….

 ऐ मेरी ज़िंदगी! मुझे तुम्हारी पल-पल ज़रूरत थी। और मुझसे भी कहीं ज़्यादा हमारी मासूम बिटिया को तुम्हारी शफ़क़त भरी नज़रों की ज़रूरत थी। ज़माने की धूप और तपिश से बचने के लिए मेरे साथ-साथ तुम्हारी छांव की भी उसे ज़रूरत थी। वो तुम्हारी हालत देखकर तड़पती रही, बिलखती रही। तुम्हारे लिए ईश्वर की अराधना करती रही। ईश्वर से तुम्हें मांगती रही। तुम्हारी-मेरे और हमारी बिटिया के शुभचिंतकों ने भी तुम्हें कुछ मोहलत और जीवनदान प्रदान करने के लिए ईश्वर, परवरदिगार, बाहेगुरु से अपने-अपने तौर पर प्रार्थना-इबादत करते रहें। लेकिन इतनी जगहों से और विभिन्न मज़हबों के इतने लोगों की प्रार्थनाओं को ईश्वर ने एक साथ नकार दिया। और मैं और बिटिया हतप्रभ होकर, हक्का-बक्का होकर तुम्हें सृष्टि लोक में जाते हुए बेबस होकर देखता रहा। शायद हमलोगों से ज़्यादा ईश्वर को तुम्हारी ज़रूरत थी। शायद इसलिए ईश्वर ने तुमसे कहा, आ जाओ। और तुम तो शुरू से ईश्वर भक्त रही। ईश्वर की बात कैसे टालती। तुम ईश्वर की शरण में प्रस्थान कर गई। और मैं, बिटिया उनके दोस्त और मेरे दोस्त तुम्हें बस निहारते रह गए। अनगिनत यादें, बीताए हुए बेशुमार अनमोल पल सदा शेष रहेंगे, हम उसी पल को याद करते हुए तुम्हारे साथ सदा बने रहेंगे। तुम अब भी मेरे दिल में हो, हमेशा हृदय में रहोगी। नम आंखों से मेरी इस श्रद्धांजलि को स्वीकार करो।

प्रार्थना-सभा का संचालन वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार ए आर आज़ाद ने किया। और आभार ज्ञापन दिव्या दत्त ने किया।

प्रार्थना सभा में दिल्ली, मुंबई, हरियाणा, यूपी एवं कई अन्यों राज्यों के लोगों ने शिरकत की। प्रार्थना सभा के बाद लोगों ने मिलजुलकर दोपहर का भोजन किया।

ब्यूरो रिपोर्ट दूसरा मत