देश की महिलाओं का अविस्मरणीय योगदान

576

एस एन विनोद

विश्व के पाश्र्व में जब हम अपने देश भारत पर दृष्टि डालते हैं तो पता चलता है कि भारत की महिलाओं का योगदान स्वाधीनता आंदोलन से लेकर अब तक अविस्मरणीय रहा है। रानी लक्ष्मीबाई से लेकर कस्तूरबा गांधी, कमला नेहरू, सरोजनी नायडू और विजय लक्ष्मी पंडित से लेकर सुचेता कृपलानी, लीलावती मुंशी एवं इंदिरा गांधी तक ने अपने भारतीय-प्रेम, अपनी कौशलता और अथाह ज्ञान-सागर का संपूर्ण विश्व को परिचय दिया है। आज भी देश की महिलाएं एवरेस्ट बनकर भारत का मस्तक ऊंचा कर रही हैं। जहां इंदिरा गांधी प्रथम महिला प्रधानमंत्री बनकर देश की शौर्य-गाथा को दुनिया में स्थापित कर के आइरन लेडी के रूप में मशहूर हो गईं। सरोजनी नायडू प्रथम महिला राज्यपाल बनीं तो सुचेता कृपलानी प्रथम महिला मुख्यमंत्री।

मीरा कुमार को पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष पद का गौरव हासिल हुआ। और, उन्होंने जिस तरह से सदन चलाया, वह  प्रशंसनीय है। प्रतिभा पाटिल को राजस्थान की प्रथम महिला राज्यपाल बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और उनका यह सौभाग्य उन्हें प्रथम महिला राष्ट्रपति बनाकर राष्ट्रपति भवन तक पहुंचा दिया। प्रथम महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी बनीं और, तेजस्विनी सावंत विश्व ने निशानेबाज़ी प्रतियोगिता में विजेता होकर स्वर्ण पदक भारत के नाम कर के देश के नाम एक बड़ी उपलब्धि दर्ज करा दी। हरित कौर देओल भारतीय वायुसेना में प्रथम महिला पायलट बनीं तो पदमा बंधोपाध्याय भारत की प्रथम महिला एयर वाइस मार्शल बनीं। कल्पना चावला ने प्रथम महिला अंतरिक्ष यात्री का ़िखताब अपने नाम किया तो शिवांगी सिंह प्रथम महिला नौसेना पायलट बनीं।

देश में महिलाओं का योगदान पुरुष से क़तई किसी भी क्षेत्र में कम नहीं रहा है। हां, उन्हें प्रतिनिधित्व कम दिया गया है। अवसर कम दिए गए हैं। उड़ान भरने के लिए आसमान कम दिया गया है। और, अपने पग को अपनी मर्ज़ी से बढ़ाने के लिए ज़मीन कम दी गई है परंतु उन्हें जैसे भी दिया गया, जितना भी दिया गया, कम दिया गया, ज़्यादा दिया गया; उन्होंने उसी में अपनी सर्वाधिक उत्कृष्ठता दिखाई। बता और जता दिया कि उनमें विलक्षण प्रतिभा और दायित्व को पूरी निपुणता से निभाने की जवाबदेही का दायित्व-बोध संजीदगी के साथ है। यही वजह है कि देश की बेटियों ने ऐसे-ऐसे कारनामे अपने नाम किए हैं, जिसे देखकर और सुनकर पूरी दुनिया कई बार हतप्रभ रह जाती है।

महिलाओं में कुछ ऐसी विशेषताएं होती हैं कि वे पुरुष के साथ ़कदम से ़कदम मिलाकर और ़कदमताल करते हुए भी चल पाती हैं और, अकेलेपन में भी अपनी ऊर्जा का संचार कर देश के लिए, समाज के लिए और संसार के लिए एक जीती-जागती मिसाल बन जाती हैं। इसलिए हम सब का दायित्व बनता है कि हमलोग इस अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर महिलाओं की भागीदारी के लिए ईमानदारी पूर्वक सोच रखें और उन्हें आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करें।

देश की राजनीति में महिलाओं का योगदान सर्वाधिक है। परंतु, उनकी भागीदारी और प्रतिनिधित्व बहुत कम है। महिलाओं के लिए आरक्षण बिल अभी भी संसद से पास होने की बाट जोह रहा है। इस आरक्षण बिल के पास होने से महिलाओं के लिए राजनीति में अपनी विलक्षण प्रतिभा दिखाने और दर्ज कराने का उन्हें अवसर प्राप्त होगा। महिलाएं चाहती हैं कि उन्हें चुनौतीपूर्ण कार्य मिले। देश की महिलाओं ने हर चुनौतीपूर्ण कार्यों को ब़खूबी निभाकर अपनी अनोखी मिसाल ़कायम की हैं। उनपर देश को ़फ़ख्र भी है। और, वो देश के लिए बहुत कुछ करना भी चाहती हैं। इसलिए उनके अरमान को परवान चढ़ाने के लिए हम सबको और देश के राजनीतिक दलों को कुछ और करने की ज़रूरत है। ताकि, देश की बेटी, देश के लिए समर्पण-भाव से बहुत कुछ कर सकें।