महात्मा सुशील के महानिर्वाण की स्मृति में आयोजित हुआ स्मृति-पर्व/आह्वान-साधना और भजन-संकीर्तन के साथ दी गयी भावांजलि ।

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पटना, २५ जुलाई। ‘इस्सयोग’ के प्रवर्त्तक और ब्रह्मलीन सदगुरुदेव महात्मा सुशील के महानिर्वाण की स्मृति में, अंतर्राष्ट्रीय इस्सयोग समाज के तत्त्वावधान में, प्रत्येक मास आहूत होने वाला स्मृति-पर्व, गत सोमवार को संस्था के गोला रोड स्थित ‘एम एस एम बी इस्सयोग भवन’ में, पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया। संस्था की अध्यक्ष और सदगुरुमाता माँ विजया जी की दिव्य उपस्थिति में, ‘आह्वान-साधना’ से आरंभ हुए इस दिव्योत्सव में अखंड भजन-संकीर्तन के साथ इस्सयोगियों के उद्गार और माताजी के आशीर्वचन से दूर-दूर से आए इस्सयोगी लाभान्वित हुए।

काठमांडू (नेपाल) से पधारे इस्सयोगी राजेश झा ने अपने उद्गार में, नेपाल के एक सद्यः बने युवा इस्सयोगी की अनुभूतियों को साझा किया, जिसने इस्सयोग की साधना से प्राप्त होने वाली आध्यात्मिक शक्तियों का प्रयोग कर एक मरी हुई तितली को जीवित कर दिया।
सदगुरुमाँ ने अपने आशीर्वचन में कहा कि इस्सयोग की सूक्ष्म साधना से शक्तियाँ तो आती ही है, पर इसका प्रयोग समुचित किया जाना चाहिए। शक्तियाँ अर्जित की जाती हैं तो उनका व्यय भी होता है। आध्यात्मिक-शक्तियों के प्रयोग में सावधानी आवश्यक है। चमत्कार दिखाने अथवा जाँच के लिए इसका प्रयोग अनुचित है। श्रद्धा-पूर्वक और विश्वास से की गयी नियमित साधना से अवश्य ही दिव्यता और दिव्य शक्तियाँ प्राप्त होती हैं।

संस्था के संयुक्त सचिव डा अनिल सुलभ ने बताया कि इस अवसर पर लखनऊ से आए दुष्यंत यादव, बिहारशरीफ़ से आयी रेणु देवी, नवादा से आयी गायत्री देवी, नालंदा से आए उमेश कुमार सिन्हा, पटना से सरिता ने भी अपने उद्गार व्यक्त किए। संस्था के संयुक्त सचिव ई उमेश कुमार, अनंत कुमार साहू, शिवम् झा, कृष्ण मोहन राय, राजेश वर्णवाल, किरण झा, गायत्री प्रदीप, प्राणपति सिंह, ई विजय कुमार, अंजलि मंजीता, किरण प्रसाद, मीरा देवी, राधे श्याम पांडेय, अवकाश प्राप्त पुलिस महानिरीक्षिक चौरसिया चंद्रशेखर आज़ाद, रविकान्त मूलचंद, प्रभात चंद्र झा, अमित राज, डा कौशलेंद्र कुमार, पीयूष कुमार, राजीव कुमार सिंह, डा जेनी रणधीर, संजीत कुमार, बी पी सिंह समेत दो हज़ार से अधिक इस्सयोगी साधक-साधिकाओं ने उत्सव में भाग लिया।