गाय के मल- मूत्र सेवन से देश में एक नया संकट खड़ा होने की संभावना

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ए आर आज़ाद

आज गाय के विभिन्न रूप सामने आने लगे हैं। कोरोना की बीमारी के नाम पर आधुनिय विज्ञान चिकित्सा पद्दति को अंगुठा दिखाकर गाय के मल का सेवन करने और उसके मूत्र को पीने का एक पार्टी विशेष की ओर से फरमान जारी कर दिया गया है। इस कड़ी में संघ जैसी संस्था भी कूदकर आगे आ गई है। और इसे बढ़ावा देने में अपना योगदान भी दे रही है। सवाल यह है कि किसी भी मनुष्य या जानवर का मल-मूत्र कैसे खाया जा सकता है? मूत्र का सेवन दवा के रूप में कैसे किया जा सकता है? मल को बदन में और मुंह पर मला कैसे जा सकता है? और गौ के पिशाब से स्नान कैसे किया जा सकता है?

हर किसी को मालूम है कि गौमूत्र और मल में किटाणु और विशाणु होते हैं। ये दोनों जीवाणु खतरनाक वैक्टरिया हैं। किसी भी जानवर या आदमी के मल-मूत्र में लाभकारी वैक्टरिया नहीं होते हैं। इसका दुष्परिणाम दुखद होता है। इसलिए कि कोई भी भयानक बीमारी जानवरों से होकर ही आदमी में प्रवेश करती है। इसलिए आप जब ग़ौर करेंगे तो पाएंगे कि कोरोना की बीमारी जानवरों में नहीं है। हालांकि शुरू में यह बात सामने आई कि यह बीमारी जानवरों और पक्षियों से शुरू हुई। लेकिन धीरे-धीरे साफ हो गया कि जानवरों में कोरोना के लक्षण नहीं हैं। इसलिए जब जानवरों में कोरोना के लक्षण नहीं है तो फिर यह जैविक बीमारी भी नहीं है। यानी कोरोना एक बुख़ार और वायरल तक तो सीमित हो सकता है। लेकिन यह हवा में तैरने वाली और फैलने वाली बीमारी नहीं है। यह बीमारी सांसों से होकर नहीं आती है। यह बीमारी लोगों के आपस में मिलने-जुलने से भी नहीं होती है। अगर कोरोना कोई ऐसी हवा में फैलने वाली बीमारी होती, तो इसकी चपेट में जानवर भी आते, परिंदे भी आते और कीड़े-मकोड़ और मक्खियां भी आतीं। लेकिन ऐसी स्थिति भारत क्या दुनिया में कहीं नहीं देखी जा रही है। इसलिए साफ कहा जा सकता है कि कोरोना हवा में फैलने वाली बीमारी नहीं है।

बहरहाल गाय के मल-मूत्र के खाने-पीने और पूरे शरीर में लगाने का साइड इफेक्ट संभव है। और जानवरों से आदमी में आने वाली बीमारी ख़तरनाक और भयावह रुप ले सकती है। इसलिए इस पर सरकार को अभी से फौरन एक्शन लेना चाहिए। इस तरह के इलाज को रोकना चाहिए। और जो लोग इस तरह के प्रचलन को बढ़ावा दे रहे हैं, उन्हें सचेत करना चाहिए। क्योंकि यह जानवरों से आदमी में आई बीमारी जब व्यक्ति विशेष से पूरे समाज में फैलेगी तो फिर फिर पूरा समाज भयंकर प्रकोप का शिकार हो जाएगा। और फिर कोरोना के समय की तरह उस वक़्त भी विज्ञान और एलौपैथ उपचार लाचार सा दिखने लगेगा। इसलिए सरकार को सख़्ती और समझदारी का रूप देश के सामने दिखाना चाहिए। और अगर ऐसा कुछ भयंकर बीमारी सामने आती है तो इसकी ज़िम्मेदारी भी संबंधित लोगों पर डालने का अनुपालन सरकार को करना चाहिए। इस देश की जनता गाजर-मूली नहीं है कि उसके अस्तित्व के साथ कोई भी खेले। आस्था की एक मर्यादा होती है। और जब कोई आस्था की चौखट को लांघ दे तो फिर उसके दुष्परिणाम तो सामने आने स्वाभाविक हैं। इसलिए इस समस्या पर ग़ौर करना सबका कर्तव्य है। जयहिंद, जयभारत।