ए आर आज़ाद की दो कविताएं- ज़िंदगी, संकल्प

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जिंदगी

ज़िंदगी

न किसी से शुरू होती है

और न ही किसी पर ख़त्म

ज़िंदगी

रफ़्तार है

बढ़ती जाती है

ज़िंदगी चाहती है हौसलों को बनाना अपना साथी

जिस ज़िंदगी को

हौसला का साथ मिल जाता

एक दिन कामयाब होकर रहती है- वह ज़िंदगी…!

29  दिसंबर,2020 रात्रि

 

संकल्प

संकल्प ज़रूरी है

ज़रूरी है संकल्प

क्योंकि संकल्पित मन

भयमित और क्रोधित मन से

ज़्यादा बेहतर है

ज़रूरी है संकल्प

क्योंकि संकल्पित मन

भटकाव की संभावनाओं से परे होता है

वह बढ़ना जानता है पथरीली राहों में भी

कंटकों के बाटों पर भी

और चूभते शीशों के चुभन में भी

ज़रूरी है संकल्प

क्योंकि संकल्पित मन

सरहदों को एक करने का माद्दा रखता है

विचारों से विवादों को थाम लेता है

वक़्त के नब्ज़ को टटोल लेता है

और

समय के भान के ज़रिए

समय के ज्ञान का परिमार्जक बन जाता है

ज़रूरी है संकल्प

क्योंकि संकल्पित मन

उदारता की पराकाष्ठा पर होता है

प्रेरणा का द्योतक होता है

परिश्रम का अग्रगामी होता है

सच्चाई का पथद्रष्टा होता है

भरोसे का पर्याय होता है

जो अद्वितिय बनकर

ईमान के रास्ते का मील का पत्थर बन जाता है

इसिलए ज़रूरी है संकल्प… ! संकल्प ज़रूरी है… ! !

29  दिसंबर,2020 रात्रि