अल्लाह सबकुछ देख रहा है

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ए आर आज़ाद

रमज़ान मुबारक

 

आप भूखे रहते हैं इसलिए कि आपको मालूम होता है कि अल्लाह सबकुछ देख रहा है। इसलिए आप छुपकर भी भूख और प्यास की शिद्दत कुछ खाते-पीते नहीं हैं। यानी इस मौके पर आपका ईमान ताजा रहता है। आपका ईमान और आपका तकवा और इबादत में लीन रखता है। वह आपको झूठ बोलने से बचाता है। वह आपको बुराई से बचाकर रुसवाई से भी बचाता है। वह आपको बुराई से परहेज कराते हुए अमानत में ख्यानत से भी बचाता है। वह आपको बुराई देखने से भी रोक लेता है और बुराई करने से भी बचा लेता है। यानी रोजा आपको ईमानदारी ही नहीं सिखाता बल्कि आपको जिंदगी जीने का वह तरीका सीखा देता है जिससे इंसान भी खुश और खुदा भी खुश। आप बताएं कि दुनिया में कौन लोग हैं जो ईमानदार आदमी को पसंद नहीं करते। दुनिया के कौन लोग हैं जो अमानत में ख्यानत करने वाले लोगों को पसंद करते हैं। दुनिया में कौन ऐसे लोग हैं जो गरीबों की मदद करने वालों को पसंद नहीं करते। दुनिया में वो कौन लोग हैं जो सच बोलने वालों को पसंद नहीं करते?  यानी जिस नेक काम को दुनिया का आदमी पसंद करता है, उस नेक कामों को अल्लाह भी पसंद करता है। तो फिर हम वो  काम क्यों न करें जिससे दुनिया भी बने और आखिरत भी संबरे। यानी साफ और सफ्फाफ लहजे में कहा जाए तो हम वे काम क्योें न करते रहें जिससे दुनिया के लोग भी खुश रहें और खुदा भी खुश रहे।

इसलिए तो इस महीने को इबादत का महीना बताया गया है। इस महीने में इबादत के आलीशाम मुकाम बताए गए हैं। पहला रोजा रखना, रात में तरावीह पढ़ना, दिन और रात में किसी भी वक्त कुरआन की तिलावत करना। एत्तेकाफ में बैठना। और एत्तेकाफ में बैठकर अपने, अपने-पराए, समाज, देश और दुनिया के लिए एकांतवास होकर दुआएं मांगना और सबकी बेहतरी की कामना करने का ख्याल इस रमजान की ऊपज है।

इस पवित्र महीने रमजान में जकात का भी प्रावधान है। दान देने का प्रावधान है। दान देने को सबसे बेहतर ईश्वर के लिए खर्च करना बताया गया है। और इस महीने अल्लाह की इबादत के साथ-साथ उसका धन्यवाद करना और तीस रोजे को पूरा होने के बाद उस खुशी को हासिल करना जिसे ईद कहते हैं।

असल ईद तो रोजेदारों और उन गरीबों की है, जिन्होंने भूखे-प्यासे रहकर इबादत की। और दूसरे वे लोग जिन्हें साल भर नए कपड़े नहीं मिले, अच्छे खाने नहीं मिले लेकिन ईद के दिन उनके घरों में भी पकवान और सेवई व मीठी चीजें बनती हैं। जाहिर में ईद की खुशी उनके लिए तो असली खुशी होती है। इसलिए इस्लाम में खैरात व जकात का प्रावधान किया गया है ताकि गरीबों को भी ईद की खुशी का तोहफा मिल सके।