एस आर आज़मी
बिहार माध्यमिक संघ के संयुक्त सचिव व शिक्षक नेता डॉक्टर सुरेश राय ने कहा कि जो रेल बजट पेश किया जा रहा है इसमें बेगूसराय जि़ले को पर्याप्त अवसर प्रदान किया जाए। उन्होंने कहा कि रेलवे को राजस्व देने में बिहार प्रांत का बेगूसराय अव्वल रहा है। यहां तेलशोधक कारख़ाना, बरौनी थर्मल पावर स्टेशन, गैस आधारित फ़र्टिलाइजर और बरौनी मक्खनशाला सहित कई लघु उद्योग समूह भी स्थापित है। इस लिहाज़ से इन क्षेत्रों में रेल संचालन और यातायात काफी बढ़ी रहती है। देश के सुदूरवर्ती महानगरी से बेगूसराय जि़ला को रेल माध्यम से जोड़ने की नितांत आवश्यकता है। इससे व्यापार और रोज़गार की भी संभावनाएं बढ़ेंगी। डॉ. राय ने कहा कि काफी दिनों से प्रमंडलीय मुख्यालय मुंगेर तक का रेल आवागमन ठप है। उन्होंने केंद्र्र सरकार से बेगूसराय के लिए कम से कम जोड़ी गाड़ियों के संचालन की मांग की और कहा कि मुंगेर और जमालपुर के साथ बेगूसराय को भी विभिन्न प्रांतों से जोड़ा जा सके।
शिक्षक नेता ने जि़ला में कई स्टेशनों पर फुट ओवरब्रिज बनाए जाने की मांग की है। उन्होंने बेगूसराय स्टेशन पर हाल के दिनों में बनाए गए लोहिया नगर ओवरब्रिज में दरार आने को गंभीर लापरवाही का परिणाम बताते हुए इसकी बड़ी एजेंसी से जांच कराने की मांग की। उन्होंने रेल मंत्रालय को निर्माण के क्षेत्र में सतर्क रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित रेल बजट में बेगूसराय जि़ला को ख़ास तवज्जोह मिलनी चाहिए। इससे आम जनों की यात्रा आसान होगी। बिहार प्रांत के साथ हमारा देश भी समृद्ध होगा।
जि़ला कांग्रेस कमिटी के महामंत्री मुरलीधर मुरारी ने बेगूसराय जि़ला में ट्रेनों के परिचालन की लचर व्यवस्था पर रोष व्यक्त करते हुए कहा कि राजस्व प्राप्ति में यह जि़ला नंबर वन है तो रेल परिचालन और रेल व्यवस्था में नंबर थ्री क्यों? मुरारी ने बरौनी से नवगछिया रेलखंड, खगड़िया से समस्तीपुर रेलखंड को नए सिरे से सुव्यवस्थित करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि बरौनी से हसनपुर तक की प्रस्तावित परियोजना को तुरंत मंज़री देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जि़ला के एक सांसद केंद्र्रीय मंत्री हैंं वहीं दूसरे राज्य सभा के प्रभावशाली सांसद हैं। इन दोनों के कार्यकाल में बेगूसराय के रेल व्यवस्था का कायाकल्प अब नहीं होगा तो कब होगा। मुरारी ने कहा कि रेल बजट में सि़र्फ झुनझुना बजा देने से यात्रियों का कल्याण संभव नहीं है। लोगों को जि़ला के प्रति बेहतर सोच बनानी होगी।
जि़ला अनुश्रवण कमिटी के उपाध्यक्ष एस एम अकि़ल अख़्तर ने बताया कि केंद्रीय सरकार की प्रस्तावित केंद्रीय रेल बजट में आम यात्रियों के किराए की और मालवाहक किराए की कोई वृद्धि नहीं होनी चाहिए ताकि आमजनों को ख़ासकर व्यापारिक वर्ग को अतिरिक्त बोझ न झेलना पड़े। अकि़ल अख़्तर ने आगे कहा कि जि़ला के स्टेशनों पर गाड़ियों की संख्या बढ़े। माक़ूल ठहराव हो। और गाड़ियों की रफ़्तार भी बढ़ाई जाए, जिससे यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचने में कम से कम समय लगे। उन्होंने मांग की कि जि़ला के स्टेशन को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाए। आम जनता को रेलवे के सहारे जितनी सहुलियतें मिलेंगी उतनी ही सरकार के राजस्व में इज़ाफ़ा होगा। उन्होंने रेलवे की निजीकरण व्यवस्था पर आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि केंद्र्रीय सरकार रेल व्यवस्था को पूरी तरह अपने हाथों में रखे। चालू वित्तिय वर्ष में बेहतरीन बजट पेश कर आम जनों के ज़हन में अपनी निष्पक्ष छवि को बरक़रार रखे।
बेगूसराय जि़ला के रामदीरी गांव स्थित महाजी टोला की निवासी व समाज सेविका संयोगिता देवी का मानना है कि हर साल के रेल बजट में यात्रियों को बेहतर सुविधा देने का लंबा-चौड़ा वादा किया जाता है। लेकिन धरातल पर आकर यह दावा खोखला साबित होता है। यात्रा में आरक्षण से लेकर आरक्षित सीटों का सफ़र बेहद कष्टदायक है। आरक्षित बोगी का नल और शौचालय की दुर्गति किसी से छिपी नहीं है। महिला समूहों के लिए ख़ास बोगी दी जाती है। लेकिन सुरक्षा और सुविधा नदारद रहती है। अनेक तरह की झंझावातों तक झेल कर गंतव्य स्थानों तक पहुंचने की मजबूरी यात्रियों की नियति बन गई है। आगामी बजट में बेगूसराय जि़ला के लिए अपेक्षित घोषणा हो और उसे सतह पर अमली जामा मिले- यही तमन्ना बेगूसराय जि़लावासियों की है।
सदर प्रखंड के पचंबा गांव निवासी सामाजिक कार्यकर्ता व प्राथमिक कृषि साख सहयोग समिति पचंबा के अध्यक्ष कुणाल किशोर ने बेगूसराय जि़ले में रेल परिचालन की व्यवस्था का जि़क्ऱ करते हुए कहा है कि पुरजोर राजस्व देने वाला बेगूसराय रेलवे स्टेशन का कोई स्वरूप नहीं। जि़लावासियों को दूरगामी ट्रेनों को पकड़ने के लिए हथिदह बरौनी जाना पड़ता है, जो सड़क जाम रहने के कारण अक्सर छूट जाया करता है। यह स्थिति इसलिए बनती है कि बेगूसराय स्टेशन पर लंबी दूरी वाली ट्रेनों का ठहराव नहीं है। कुणाल ने ऑनलाइन टिकट बुकिंग की प्रक्रिया को भी सरल व सुगम बनाने की मांग की।
उन्होंने आगे कहा कि रेल मंत्रालय ने किसान एक्सप्रेस ट्रेन चलाया पर इससे किसानों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है किसानों के चारा-भूसा व अनाज धुलाई की कारगर व्यवस्था इसमें नहीं है। आने वाले रेल बजट में आम यात्रियों की सुरक्षा का ज़रूर ख़्याल रखा जाए। बेगूसराय जि़ला के डंडारी प्रखंड स्थित कटर माला गांव निवासी किसान सह पूर्व भाजपा मंडल अध्यक्ष रामचंद्र्र सिंह कहते हैं कि नया रेल लाइन बिछाने के मामले में पूर्व में जो भी सर्वेक्षण हुए उसे इस बजट में शामिल कर अमल में लाया जाए। मसलन बरौनी जंक्शन से वाया वीरपुर व मंझौल होते हुए हसनपुर से जोड़ा जाना मामला अब तक टालमटोल में लटका पड़ा है । जि़ला में मांग के अनुरूप हॉल्ट स्टेशनों की भी बढ़ोतरी नहीं हुई। जहां खुला भी वहां एक दो गाड़ियों का ठहराव मिला जो न्याय संगत नहीं है। पीएम नरेंद्र मोदी के इस हाईटेक युग में जि़ला के स्टेशनों की बदहाली का आख़िर जि़म्मेदार कौन है? रेल व्यवस्था के प्रति जि़ला के सांसद मुखर क्यों नहीं होते, यह भी चिंता का विषय बना है। सुरक्षित और सुलभ रेल यात्रा देश की प्रगति का परिचायक होता है।
बेगूसराय शहर के निराला नगर निवासी अवकाश प्राप्त प्रधानाचार्य कस्तूरी झा ‘कोकिल’ की राय में आगामी रेल बजट ऐसा बने, जिसमें ग़रीब तबक़े के लोगों को ज़्यादा से ज़्यादा सहूलियत मिले। अमीर लोगों के लिए सुविधाएं अनंत हैं। लेकिन गरीबों की जिंदगी की जिहालत भरी होती है। इन ग़रीबों की यात्रा सस्ता और शुलम कैसे हो, इसका बनने वाली योजनाओं में समावेश हो। जि़ला के बड़े स्टेशनों पर दूरगामी ट्रेन का ठहराव ज़रूर होना चाहिए। उन्होंने बंद ट्रेनें को फिर से चालू करने की मांग की और कहा कि रेल मंत्रालय अपने प्रस्तावित बजट में कवि लेखक पत्रकार और कलाकारों को विशेष सुविधा प्रदान करें।
कॉलेजिएट इंटर विद्यालय के अवकाश प्राप्त शिक्षक व वरिष्ठ पत्रकार सुरेश चौहान ने बेगूसराय रेलवे स्टेशन को सुव्यवस्थित बनाकर सुंदरीकरण करवाने की आवश्यकता बताई है। चौहान ने कहा है कि रेलवे स्टेशन ज़मीन का अतिक्रमण हो गया। स्टेशन के आगे अवैध दुकानें संचालित है, जिनसे मनमाना पैसे उगाही की जा रही है। वहीं परिसर में टैक्सी स्टैंड भी चलाया जा रहा है। बेतरतीब दुकानों और टैक्सी स्टैंड के कारण स्टेशन की मूल आकृति छिप गई है। बाहरी लोगों को पता ही नहीं चल पाता है कि बेगूसराय रेलवे स्टेशन किधर है? रेल परिसर में एक सुव्यवस्थित पार्क और बगीचा स्थापित करना निहायत ज़रूरी है। ताकि थके हारे यात्री वहां बैठकर सुकून की सांस ले सके। मुख्य द्वार पर एक आकर्षक गेट बनाकर स्टेशन का नामांकन अंकित किया जाए। आगामी रेल बजट में लुक परिवर्तन की नितांत आवश्यकता है। ताकि मुनाफ़े में चलने वाला बेगूसराय रेलवे स्टेशन देखने और दिखाने लायक़ हो सके ।
बेगूसराय न्यायालय के वरीय अधिवक्ता और बरौनी प्रखंड के उप प्रमुख डॉ रजनीश कुमार ने आगामी रेल बजट में बेगूसराय जि़ले को अहमियत देने की मांग की है। डॉ कुमार ने कहा है कि करोना काल में जो रेलवे का परिचालन बंद हुआ था, उसे पुन: नियमित की जाए। उन्होंने देश के महानगरों से बेगूसराय को रेल माध्यम से सीधा जोड़ने की ज़रूरत बताया। डॉ कुमार ने कहा कि जनप्रतिनिधियों की घोर उपेक्षा और उनकी इच्छाशक्ति के अभाव के कारण बेगूसराय के रेल यात्री आवागमन में भारी परेशानी महसूस कर रहे हैं। हालांकि बिहार के तीन-तीन रेल मंत्री हाल के दिनों में केंद्र्रीय स्तर पर क़ाबिज़ हुए। लेकिन इसके बावजूद बिहार को इस संकट से नहीं उबार पाए। बिहार की औद्योगिक राजधानी बेगूसराय मानी जाती है। इसके बावजूद यहां के स्टेशनों से दिल्ली, मुंबइर्, चेन्नई, सूरत, जयपुर, भोपाल, लखनऊ , पंजाब जैसे महानगरों तक सीधी सेवा को अंजाम नहीं मिला है। आगामी रेल बजट में बिहार के साथ बेगूसराय को और नई सौग़ात मिलती है तो यहां के यात्रियों का सौभाग्य होगा। वरना सारी स्थितियां ढाक के तीन पात की तरह बनी रहेगी। जि़ला बासी अपनी रेल सुविधा के लिए तड़पते और तरसते रहेंगे।
पूर्व मध्य रेलवे दैनिक यात्री संघ के संस्थापक सह महासचिव राजीव कुमार ने ज़िला मुख्यालय स्थित रेलवे स्टेशन बेगूसराय की दारुण दशा का जो चित्र खींचा है, वह काफी पीड़ादायक है। कुमार के मुताबि़क, बेगूसराय रेलवे स्टेशन के भीतर और बाहर संकट बना है। यहां से होकर दर्जनों सवारी व मालवाहक सवारियां गुज़रती हैं और हज़ारों लोग यात्रा भी करते हैं। विभाग को व्यापक राजस्व भी मिलता है। बावजूद इसके स्थिति विस्फोटक बनी है। प्लेटफॉर्म की गंदगी,टूटे-फूटे नल, परिसर के शौचालय इसकी व्यवस्था को दर्शाने के लिए काफी है। हद तो तब होता है, जब रेल विभाग के उच्चाधिकारी भी निरीक्षण के लिए आते हैं और शिकायत मिलने के बाद भी सुधार नहीं होता है। दक्षिण भारत के महानगरों तक जाने वाली ट्रेनों का घोर अभाव है। बेगूसराय से निकटवर्ती महानगर कोलकाता है। लेकिन वहां जाने के लिए एक भी ट्रेन की सीधी सेवा नहीं है। बेगूसराय से मुंगेर की ओर, भागलपुर की ओर जाने वाली कोई भी ट्रेन नहीं है। बेगूसराय स्टेशन पर आरक्षण काउंटर और सामान्य बुकिंग की भी भारी कमी है। यात्रियों की लंबी कतार परेशानी बनी रहती है। प्लेटफॉम नंबर तीन-चार का विस्तारीकरण अरसे से बाधित पड़ा है। स्टेशन के उत्तर दिशा में भी टिकट काउंटर की व्यवस्था नहीं है। इस बजट में बेगूसराय रेलवे स्टेशन को सुसज्जित बनाकर मॉडल स्टेशन बनाए जाने की आवश्यकता है। आने वाले इस रेल बजट में सर्वथा उपेक्षित बेगूसराय स्टेशन सहित ज़िला के अन्य छोटे-बड़े स्टेशनों का जीर्णोद्वार की जानी चाहिए। पै़गाम ए अमन कमिटी, बेगूसराय के अध्यक्ष व पूर्व मुखिया मो. अहसन ने प्रस्तावित रेल बजट में बरौनी-बेगूसराय और लखमिनियां स्टेशन को यात्रियों के लिए सुविधा जनक बनाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि लखमिनियां स्टेशन का़फी पुराना है। और क्षेत्र के 50 से भी ज़्यादा गांव इससे जुड़े हैं। लेकिन ट्रेनों का ठहराव नहीं रहने के कारण एक्सप्रेस ट्रेनों को पकड़ने के लिए बरौनी-बेगूसराय जाना पड़ता है। यही हाल साहेबपुर कमाल स्टेशन का है। उस क्षेत्र के यात्रियों को खगड़िया का रू़ख करना पड़ता है। आगामी बजट में यात्रियों की सुविधा के लिए नई सौ़गात मिलनी चाहिए। उन्होेंने पटना के लिए बेगूसराय से लोकल ट्रेनें चलाने एवं प्लेटफॉर्म की टिकट पूर्व दर पर पांच रुपए किए जाने की मांग की है।