पुडुचेरी में ‘कमल’ या हाथ?

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ए आर आज़ाद

पांच राज्यों में एक राज्य यानी एक केंद्र शासित प्रदेश में 6 अप्रैल को चुनाव संपन्न हो गया। पुडुचेरी सबसे छोटा केंद्र शासित प्रदेश है। यहां 30 विधानसभा के लिए चुनाव हुए। पुडुचेरी में लगभग 78.13 फीसदी वोटिंग हुई।

पुडुचेरी पिछले दिनों से ही काफी चर्चा में रहा है। चर्चा में इसलिए रहा कि गुजरे 22 फरवरी को पुडुचेरी के दसवें मुख्यमंत्री वी नारायणस्वामी को ठीक फ्लोर टेस्ट से पहले इस्तीफा देना पड़ा। यानी पुडुचेरी देश का एक ऐसा सूबा बन गया जहां एक बार में मुख्यमंत्री को भी अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी और उपराज्यपाल को भी।

गौरतलब है कि पुडुचेरी विधानसभा में 2016 के चुनाव में बीजेपी को एक भी सीट नहीं मिली। यानी वहां बीजेपी के एक भी विधायक नहीं है। पुडुचेरी में बीजेपी का ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस से गठबंधन है। बीजेपी के साथ एआईएडीएमके भी शामिल है। और बीजेपी के साथ कुछ स्थानीय छोटे दल भी शामिल हैं।

कांग्रेस पुडुचेरी विधानसभा का चुनाव डीएमके के साथ गठबंधन बनाकर लड़ रही है। कांग्रेस के इस गठबंधन में लेफ्ट के अलावा कुछ दूसरी छोटी पार्टियां भी हैं। केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी का चुनाव इस बार और भी चर्चित हो गया है। क्योंकि देश के मशहूर अभिनेता कमल हासन की पार्टी एमएनएम यानी मक्कल निधि मय्यम भी चुनाव मैदान में थी।

पुडुचेरी में सरकार बनाने के लिए 16 सीट लाना लाजमी है। यानी बहुमत का जादुई आंकड़ा 16 है। 2016 के नतीजों पर हम गौर करें तो पुडुचेरी विधानसभा में कांग्रेस सबसे बड़े दल के रूप में उभरी थी। विधानसभा के 30 सीटों में से आधी यानी 15 सीटों पर उसने अपना कब्जा जमा लिया था। 2016 में पुडुचेरी विधानसभा में दूसरे बड़े दल के रूप में ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस सामने आई थी। उसे 8 सीटें मिली थीं। एआईएडीएमके को 4 सीटें मिली थीं, तो डीएमके को 2 सीटें मिली थीं।