सैयदना मख़दूम पीर दमड़िया शाह का मना उर्स, छह हाफ़िज़ों की हुई दस्तारबंदी

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उज्ज्वल जीवन के लिए बुज़ुर्गों से प्रेरणा लेना ज़रूरी : सैयद हसन

भागलपुर

देश में रेशमी शहर के नाम से मशहूर भागलपुर में देश के प्रसिद्ध सुफ़ी संत सैयदना मख़दूम शरफ़ुद्दीन हुसैन उर्फ़ अली मोहम्मद रहमतुल्लाह अलैहि का 419वां सालाना उर्स 25 जनवरी,2021 को बड़ी ही अक़ीदत के साथ मनाया गया। इस मौक़े पर परंपरागत तौर पर सभी तरह का रस्म किया गया। इसी के मद्देनज़र मज़ार-ए-शरीफ़ पर चादर पेश की गई।

इस मौक़े पर अपनी भावनाओं का इज़हार करते हुए ख़ानक़ाह-ए-पीर दमड़िया शाह के 14वें सज्जादानशीं सैयद शाह हसन मानी ने कहा कि लोगों को बुज़ुर्गों की बताई राह को अपनाना चाहिए। कामयाबी के लिए उसी राह पर हमवार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बुज़ुर्गों का एक ही संदेश है- अल्लाह के बताए रास्ते पर चलना और दूसरों को भी उसी रास्ते पर चलने की हिदायत देना है।

दस्ताबंदी जलसे को ख़ानक़ाह-ए-पीर-दमड़िया के नायब सज्जादानशीं सैयद शाह फ़ख़रे आलम हसन ने भी संबोधित किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि औलिया-ए-कराम और बुज़ुर्गाने दीन अल्लाह के इश्क़ में डूबे हुए उसके सच्चे बंदे होते हैं, जिनकी जिंदगी का मक़सद तौहीद के चिराग़ को रौशन करना है। और उसकी रौशनी से समाज को आलोकित व प्रकाशित करना है। उनके जीवन का एक ही मक़सद है- अल्लाह के बंदों की ख़िदमत और सेवा करना।

यही वजह है कि आज सैकड़ों साल गुज़र जाने के बावजूद लोगों की उनपर श्रद्धा, अक़ीदत और आस्था आज भी बनी हुई है। आज भी लोग पूरी श्रद्धा और अक़ीदत के साथ उनसे निसबत करने पर गौरवान्वित महसूस करते हैं।

इस अवसर पर मदरसा सैयद अली पीर दमड़िया शाह के छह हाफ़िज़ों को नायब सज्जादानशीं सैयद शाह फ़ख़रे आलम हसन ने दस्तार-ए-फ़ज़ीलत बांधी। जिन हाफ़िज़ों की दस्ताबंदी की गई है, उसमें हाफ़िज़ जावेद हाफ़िज़ मो. तौकिर, हाफ़िज़ मो. आफ़ताब, हाफ़िज़ मो. चांद, हाफ़िज़ मो. असद शामिल हैं।

इस मौके पर सैयद घीरन शाह, मिन्हाज शाह, निसार बाबा, डी खान, हाफ़िज़ अबू कैस सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।