झाड़ग्राम के जामदा की रैली का मामला
ए आर आज़ाद
देश में पांच राज्यों के होने वाले चुनाव के मद्देनज़र सभी राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कस ली है। चुनाव का शोर और शंखनाद तेज़ी के साथ हो रहा है। जीत और सिर्फ जीत के लिए तिकड़म के सारे हथियारों को धार देने की क़वायद लगभग पूरी हो चुकी है। और इसी कड़ी में पश्चिम बंगाल का चुनाव देश और दुनिया के लिए चर्चा का केंद्र बना हुआ है। लोगों की नजर इस चुनाव पर टिकी है। और, पश्चिम बंगाल पर क़ब्ज़ा जमाने की छटपटाहट और उसे हर हाल में बचाए रखने की सुगबुगाहट हर तरफ देखी जा सकती है। बीजेपी के रणनीतिकार अमित शाह करो या मरो की तर्ज पर पश्चिम बंगाल में कमल खिलाने के लिए एड़ी-चोट एक कर रहे हैं। तो दूसरी तरफ अपनी पुरानी धरोहर की वापसी के लिए कांग्रेस और लेफ्ट जी जान लगा चुकी है। 2011 से सत्तासीन ममता बनर्जी और उनकी पार्टी त्रृणमूल कांग्रेस अपने वजूद और अस्तित्व के बचाए और बनाए रखने के लिए पूरी ऊर्जा के साथ दमखम दिखाते हुए जनता और वोटर की नजरों में ख़ुद को बेहतर सीएम और पार्टी की शक्ल पेश करने में जुटी हुई है। ज़ाहिर सी बात है पहले फेज के चुनाव से पहले तक ममता बनर्जी का पलड़ा भारी दिख रहा है। बीजेपी ने अपनी पूरी मशीनरी के साथ ममता के क़िले को ध्वस्त करने के लिए उसे चारों तरफ से घेर रखा है लेकिन ममता है कि वह उस घेराबंदी और मोर्चाबंदी को ध्वस्त करते हुए आगे बेख़ौफ़ होकर निकलती जा रही है। अपनी धुन में बढ़ती चली जा रही है। और केंद्र व प्रधानमंत्री व गृहमंत्री बंगाल की मुख्यमंत्री को इस बार सत्ता के ताज से वंचित करने के लिए कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। लेकिन पश्चिम बंगाल की जनता और वोटर है कि बीजेपी की मंशा पर पानी फेरती जा रही है।
दरअसल 15 मार्च,2021 को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र गृहमंत्री अमित शाह की बंगाल में दो रैलिया होनी थीं। एक रैली दिन के ग्यारह बजे झाड़ग्राम के जामदा में पहली रैली को संबोधित करना था। और उसके बाद पुरुलिया के रानी बांध में दो रैलियों को संबोधित करना था। लेकिन पहली रैली वे कर नहीं सके। उन्होंने इसका कारण हेलिकॉप्टर में आई तकनीकी ख़राबी बताया। और उन्होंने वर्चुअल रैली का सहारा लिया।
अमित शाह के इस ट्वीट के बाद विपक्ष को मौक़ा मिल गया। और विपक्ष ने भी अमित शाह की इस रैली पर अपने बयान से बीजेपी के नाकामी की तरफ इशारा करके अमित शाह को आईना दिखाया। अमित शाह ने ट्वीट किया,- आज मैं झारग्राम में प्रचार के लिए आने वाला था, दुर्भाग्य से मेरा हेलिकॉप्टर क्षतिग्रस्त हो गया और मैं आप लोगों के दर्शन करने के लिए उपस्थित नहीं हो पाया।
अमित शाह के इस ट्वीट के बाद टीएमसी ने साफ लफ्ज़ों में कहा कि कम भीड़ की वजह से अमित शाह शाह को रैली में जाने का अपना फैसला बदलना पड़ा।
कांग्रेस पार्टी ने तो और दो क़दम आगे बढ़कर कुछ तस्वीरें भी और कुछ वीडियो भी ट्वीट करके सीधा इल्ज़ाम लगाया कि- अमित शाह की पश्चिम बंगाल में रैली कम लोगों के आने की वजह से रद हुई है। अगले ट्वीट में कांग्रेस की मीडिया सेल ने लिखा कि- खाली कुर्सियां पश्चिम बंगाल में बीजेपी की कहानी कर रही है। अमित शाह ने रैली में जाने से इंकार कर दिया और वर्चुअली तौर पर इसे संबोधित किया।
इन आरोप-प्रत्यारोपों के बीच सबसे दिलचस्प ट्वीट बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी का रहा। उन्होंने ट्वीट किया कि- टीवी चैनल अमित शाह की रैली के प्रसारण पर कुछ नहीं बता रहे हैं। आगे लिखा- पहले से घोषित अमित शाह की बंगाल ग्रामीण इलाक़े में रैली को लेकर मैंने टीवी चैनल खोला। लेकिन यह तय वक़्त पर भी दो बार कार्यक्रम स्थगित हुआ। और, चैनल प्रसारण को लेकर चुप है। कोई वजह?
यानी बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने अमित शाह की इस रैली के विभिन्न पहलुओं पर प्रश्नचिह्न लगाकर बीजेपी और देश की मीडिया पर भी सवालिया निशान खड़ा कर दिया।
जो भी हो आम लोगों का कहना था कि रैली में सुबह तक भीड़ ही नहीं जुट सकी थी। जबकि बीजेपी का का आरोप था कि पश्चिम बंगाल पुलिस ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को आने नहीं दिया। बीजेपी कार्यकर्ताओं को पाच किलोमीटर पीछे ही रोक दिया गया। इसी वजह से भीड़ रैली स्थल पर नहीं पहुंच सकी। लेकिन बीजेपी के बड़े नेता चाहे वह अमित शाह हों या विजयवर्गीय अपने ट्वीट और बयान से अपने बंगाल बीजेपी नेता को ही झूठा करार दे दिया। क्योंकि विजयवर्गीय ने अपने बयान में और अमित शाह ने अपने ट्वीट में रैली में शामिल नहीं होने का कारण हेलिकॉप्टर में आई ख़राबी बताया। लेकिन टीएमसी, लेफ्ट और कांग्रेस ने इसे अमित शाह की रैली में न पहुंचने को रैली का फ्लॉप होना क़रार देकर बीजेपी का पश्चिम बंगाल की सत्ता पर क़ाबिज़ होने के सपने को चकनाचूर कर दिया।