… मंत्रिमंडल का विस्तार अभी बाक़ी है
मटिहानी विधानसभा क्षेत्र के लोजपा विधायक राजकुमार सिंह इन दिनों राज्य स्तर पर चर्चा का विषय बने हैं। जि़ला जनपद से लेकर राजधानी पटना के राजनीतिक गलियारों में उनके पाला बदलने की अटकलें तेज़ है। हालांकि लोजपा खाते से सूबे में वे इकलौते विधायक हैं। हाल ही में भाजपा के बिहार प्रभारी वह राजसभा सदस्य भूपेंद्र यादव तथा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से औपचारिक मुलाक़ात ने अटकलों का तूफान खड़ा कर दिया। इतना ही नहीं 13 जनवरी को बेगूसराय आए बिहार के शिक्षा मंत्री डॉ. अशोक कुमार चौधरी का विधायक राजकुमार सिंह से मिलना और गुपचुप बात भी संभावनाओं का पलीता लगा गया। बीते विधानसभा चुनाव में लोजपा और जेडीयू एक दूसरे के जानी दुश्मन बनकर चुनावी समर में कूदे थे। लोजपा के खाते में तो सिर्फ़ एक सीट हाथ लगी लेकिन उसने जेडीयू की दर्जनों सीटों का बंटाधार करते हुए बड़े भाई को छोटे भाई की हैसियत में ला दिया। किसी तरह भाजपा व जदयू की सरकार तो बन गई पर आंतरिक दुश्मनी लोजपा व जदयू की आज भी बरकरार है। ये दोनों दल एक-दूसरे के रडार पर हैं। भाजपा चुप्पी साध तमाशबीन बनी है। जबकि जदयू लोजपा के एकमात्र विधायक को अपने पाले में लाकर अपने घोर विरोधी का खाता क्लोज़ कर देना चाहती है। इस बाबत अभियान जारी बताया जा रहा है। संभावना तो यह भी बताया जा रहा है कि पाला बदलने के बाद विधायक सिंह को खास ओहदा भी दिया जा सकता है। क्योंकि मंत्रिमंडल का विस्तार अभी बाक़ी है। हालांकि राजकुमार की सदस्यता को कोई ख़तरा नहीं है। इसलिए विकल्प के सारे रास्ते खुले हैं। कहा तो यहां तक जाता है कि भाजपा या जदयू में किसका दामन थामा जाए, इसका भी गुणा-भाग किया जा रहा है। तेजतर्रार विधायक राजकुमार सिंह ने अटकलों के घना कोहरा के बीच अपनी कोई भी मंशा जाहिर नहीं की है। लेकिन मुलाक़ातों के बढ़ते सिलसिले से चालू शीतलहर में अचानक गर्माहट आ गई है। बिहार बजट के बाद बसंत का ख़ुशनुमा मौसम मटिहानी विधायक को कोई नई धमाकेदार सौग़्ाात दे जाए तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं?
बेगूसराय से एस आर आज़मी की रिपोर्ट