राज्य स्तरीय पंचायती राज चुनाव दस्तक देने को खड़ा है। पिछले पांच वर्षों का कार्यकाल पूरा करने वाले जिला परिषद सदस्य, मुखिया, सरपंच एवं वार्ड सदस्यों की एक बड़ी फौज आगामी चुनाव का सामना करने में जुटी है। यह भी लगभग तय माना जा रहा है कि पंचायती राज के अगले चुनाव में युवा चेहरों की भरमार होगी। उम्र की अंतिम सीढ़ी पर पहुंचे बुजुर्ग महारथी खुद ब खुद लीक से अलग हट रहे हैं। जिला में महिलाओं का एक बड़ा समूह विभिन्न पदों के चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने के लिए मैदान में उतरने की तैयारी में है। इसी चुनाव के सहारे प्रखंड प्रमुख, उप प्रमुख तथा जिला परिषद अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चयन किया जाना है। यह भी कटु सत्य है कि बेगूसराय जिला के तकरीबन एक सौ से ज्यादा मुखिया ने अपने कार्यकाल के दौरान लूट-खसोटकर बदनामी की चादर ओढ़ ली है। ऐसे लोगों को अपने नियत क्षेत्रों में मुंह की खानी पड़ सकती। दर्जनाधिक मुखिया व पंचायत सदस्यों पर सरकार की ओर से बकायदा प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई है। निष्ठा एवं ईमानदारी से क्षेत्र में काम करने वाले जनप्रतिनिधियों की संख्या अपेक्षाकृत कम है। बेगूसराय जिले के कई प्रखंड में दबंग प्रतिनिधियों की भरमार रही है। इनके दबंगई की चर्चा गाहे-बगाहे जिला स्तर पर शुमार रही है। दर्जनों जनप्रतिनिधियों पर अधिकारियों के साथ मारपीट तथा दबंगई करने के अन्य अपराधिक मुकदमे भी दर्ज हैं। चुनावी आहट से सबों की परेशानी बढ़ी हुई है। जिले के पंचायतों में चलाई जा रही सरकारी योजनाओं का बंटाधार हो चुका है। प्रखंड कर्मियों के तालमेल से स्थानीय जनप्रतिनिधि योजनाओं का कबाड़ा निकाल चुके हैं। यहां तक की जनकल्याणकारी योजनाओं में भी सबों की हिस्सेदारी सुनिश्चित है। इस बाबत क्षेत्र की आम जनता हलकान में है। चर्चा तो यह भी है कि जिला पार्षद के चुनाव में राजनीतिक दलों की भूमिगत भूमिका रहेगी। भीतरी तौर पर दलीय टिकट भी दिया जाएगा। आने वाले दिनों में राजनीतिक डोर से बंधी यह प्रक्रिया भी बवाल खड़ा कर सकती है। वैसे चुनाव के हिंसक होने की आशंका काफी बलवती है। पिछले 5 साल के दौरान जिला के पटल पर कोई एक दर्जन जनप्रतिनिधि मौत के घाट उतारे गए हैं-जिनमें मुखिया, मुखिया पति, पंचायत समिति सदस्य और वार्ड सदस्यों के नाम शामिल हैं।
एस आर आज़मी