ए आर आज़ाद
पश्चिम बंगाल में सातवें चरण का चुनाव खत्म हो गया। और इसी के साथ संभावना और आशंका दोनों प्रबल हो गई हैं कि पश्चिम बंगाल में कहीं दिल्ली का इतिहास न दोहरा दिया जाए। केजरीवाल की शक्ल में ममता न आ जाए। और दिल्ली बीजेपी की शक्ल में पश्चिम बंगाल बीजेपी। यानी बंगाल से बीजेपी का कहीं सूपड़ा ही साफ न हो जाए! दरअसल ऐसा इसलिए कहा जा सकता है कि सातवें चरण की बंपर र्वोंटग अपने इतिहास को सबूत के तौर पर पेश करते हुए कह रही है कि पश्चिम बंगाल की जनता ने घर से बाहर निकलकर मौजूदा सरकार को ऑक्सीजन देने के लिए मतदान केंद्रों तक आई है। और जब-जब पश्चिम बंगाल की जनता बंपर वोटिंग करती है, वह मौजूदा सरकार के लिए राहत भरी होती है। यानी साफ और आसान शब्दों में कह दिया जाए कि ममता बनर्जी की दोबारा सत्ता में वापसी हो रही है। और यह वापसी भारी बहुमत के साथ हो रही है।
पश्चिम बंगाल के सातवें चरण का चुनाव का चुनाव भी संपन्न हो गया। इस चुनाव में 75.06 फीसदी वोटिंग हुई। सबसे ज्यादा 80.30 फीसदी मतदान मुर्शिदाबाद में हुई। दक्षिण दिनाजपुर में 80.21 तो मालदा में 78.76 वोटिंग हुई। इसी तरह से पश्चिमी बर्दवान में 70.34 फीसदी वोटिंग हुई। गौरतलब है कि सबसे कम वोटिंग फीसद दक्षिण कोलकाता की रही। यहां 59.91 फीसदी मतदान हुआ। इसके साथ ही 5 जिलों की 34 विधानसभा सीटों के 268 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम मशीन में कैद हो गई।
अब एक चरण यानी आठवें चरण का चुनाव बाकी है। पश्चिम बंगाल में 29 अप्रैल को 35 विधानसभा क्षेत्रों में आठवें और अंतिम चरण के मतदान के लिए प्रचार अभियान भी 26 अप्रैल को समाप्त हो गया। मालदा में छह, मुर्शिदाबाद में 11, कोलकाता उत्तरी में सात और बीरभूम में 11 निर्वाचन क्षेत्रों में 29 अप्रैल को मतदान होने हैं। इस मतदान में 283 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होना है। इस चरण में कुल 84,77,728 वोटर है। इनमें 43,55,835 पुरूष, 41,21,735 महिलाएं और तृतीय लिंग के 158 मतदाता है। तकरीबन 11,860 मतदान केंद्रों में सुबह सात बजे से शाम साढ़े छह बजे तक मतदान होगा।
पश्चिम बंगाल के अंतिम चरण के चुनाव मेंं तृणमूल कांग्रेस, बीएसपी और भाजपा ने 11-11 उम्मीदवार उतारे हैं। इस अंतिम चरण के चुनाव में सीपीएम चार सीटों पर अपना मुकद्दर आजमा रही है।और, कांग्रेस तीन सीटों पर अपनी किस्मत दांव पर लगा दी है। एआईएफबी दो सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इसी तरह आरएसपी भी इस अंतिम चरण के दौरान एक सीट पर चुनाव लड़ रही है। इस अंतिम चरण के मुकाबले में चार निर्दलीय उम्मीदवार भी हाथ-पांव मार रहे हैं।
पश्चिम बंगाल के छठे चरण के चुनाव सूबे के चार जिलों की 43 विधानसभा सीटों के लिए वोट पड़े। ये जिले उत्तर 24 परगना ,उत्तर 24 परगना, उत्तर दिनाजपुर, नदिया और पूर्व बद्र्धमान हैं। इस दौरान केंद्रीय बलों की 1,071 कंपनियां तैनात की गईं।कुल 14,480 पोलिंग बूथों पर मतदान किया गया। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सभी मतदान केंद्रों पर स्वास्थ्य संबंधी दिशानिर्देशों का भी पालन किया गया।
छठे चरण के मतदान में 43 सीटों पर वोटिंग हुई। शाम 05:32 बजे तक 79.09 फीसद मतदान हुआ है। इस दौरान नदिया में सबसे अधिक 82.70 प्रतिशत वोटिंग दर्ज की गई है।
पश्चिम बंगाल में पांचवे चरण के चुनाव में शाम छह बजे तक 78.36 फीसदी वोटिंग हुई। इस पांचवे फेज में 45 विधानसभा क्षेत्रों के लिए चुनाव संपन्न हुआ। इस विधानसभा चुनाव में 342 उम्मीदवार मैदान में थे। सबकी किस्मत इवीएम में कैद हो चुकी है। 2 मई को सबके भाग्य का पिटारा खुलेगा। यहां 24 उत्तर परगना पूर्वी वर्धमान,जलपाईगुडी एवं दार्जिलिंग जिलों की विधानसभा सीटें हैं। पांचवे चरण में 24 उत्तर परगना की 16 सीटों पर मतदान हुआ। इसी के साथ पूर्वी वर्धमानन और नदिया की 8-8 विधानसभा सीटों पर चुनाव हुए। इसी के साथ जलपाईगुड़ी की सात और दार्जिंलिंग की पांच सीटों के लिए चुनाव खत्म हो चुके हैं।
पश्चिम बंगाल के चौथे चरण के मतदान में अजीबोगरीब हिंसा हुई। केंद्रीय वाहिनी से पटा पश्चिम बंगाल के कोच विहार का क्षेत्र रक्तरंजित हो गया। इस रक्तरंजित का खेल किसी आतंकवादी ने नहीं किया, किसी नक्सली ने नहीं किया। दो गुटों की झड़प ने नहीं की। दो दलों के कार्यकर्ताओं ने नहीं किया। बल्कि केंद्र के अधीन आने वाली रक्षा वाहिनी ने किया।
10 अप्रैल, 2021 को हुए चौथे चरण के चुनाव में कोच विहार की नौ सीटों पर मतदान हुए। हावड़ा की नौ सीटों पर मतदान हुए। हुगली की 10 सीटों पर मतदान हुए और दक्षिण चौबीस परगना की 11 सीटों पर मतदान हुए। अलीपुर द्वार की पांच विधानसभा क्षेत्रों में भी वोट डाले गए। यानी कुल 44 विधानसभा की सीटों पर मतदान का वोटिंग प्रतिशत 76.16 रहा।
कोच विहार की नौ सीटों पर 79.73 फीसदी वोटिंग हुई। उसी प्रकार हुगली की 10 सीटों पर मतदान प्रतिशत 76.02 रहा। दक्षिण चौबीस परगना की 11 सीटों पर 75.49 फीसद मतदान हुए। हावड़ा की नौ सीटों पर 75.03 प्रतिशत मतदान हुए। और अलीपुर द्वार की पांच सीटों पर 73.65 फीसदी मतदान हुए। यानी 294 सीटों में से 135 सीटों पर चौथे चरण में मतदान संपन्न हो चुका है। अब 294 में से 159 विधानसभा क्षेत्र बचे हैं, जहां मतदान होना है। चौथे फेज तक मतदान का प्रतिशत घटकर 76 फीसद पर आ गया है।
पश्चिम बंगाल के तीसरे फेज में शाम पांच बजे तक यानी समय से दो घंटे पूर्व तक 77.68 प्रतिशत मतदान हुआ। और यह मतदान तय करने के लिए काफी है कि इस चरण में भी बंपर वोटिंग हुई।
पश्चिम बंगाल में दूसरे फेज का चुनाव संपन्न हो गया। पश्चिम बंगाल में 80.43 प्रतिशत मतदान हुआ। और पश्चिम बंगाल के सबसे लोकप्रिय सीट नंदीग्राम में 80.79 प्रतिशत वोटिंग हुई।
पश्चिम बंगाल के पहले फेज का चुनाव 27 मार्च,2021 को संपन्न हुआ था। इस पहले चरण में 30 सीटों के लिए वोटिंग हुई थी। वहीं एक अप्रैल को दूसरे चरण में 30 सीटों के लिए मतदान सम्पन्न हुआ था। ठीक इसी प्रकार से बीदे 6 अप्रैल को तीसरे चरण में 31 सीटों का मतदान संपन्न हुआ। 10 अप्रैल को चौथे चरण में 44 सीटों पर वोटिंग हुई थी। पांचवे चरण का मतदान 17 अप्रैल को संपन्न हुआ। इस पांचवे चरण में 45 विधानसभा सीटें को लिए मतदान हुआ। र छठे चरण के लिए 22 अप्रैल को 43 सीटों पर वोटिंग हुई थी. और सातवें चरण के लिए 26 अप्रैल को वोटिंग संपन्न हो गई। इस सातवें चरण में 75.06 फीसदी वोटिगं हुई। इस चरण में कुल 34 विधानसभा सीटों के लिए 268 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाए थे। इन सभी उम्मीदवारों के भाग्य का पिटारा 2 मई को खुलेगा। तब पता चलेगा कि कौन जीता और कौन हारा?
लेकिन इतना तय ह कि इस सातवें चरण की भी हुई बंपर वोटिंग ने इशारा कर दिया है कि मौजूदा पश्चिम बंगाल की सरकार फिर से अपने वजूद में आ रही है। और भारी बहुमत के साथ दोबारा सत्ता पर भी काबिज हो रही है। विधिवत इसकी घोषणा तो चुनाव आयोग को करना है। तबतक के लिए धैर्य के साथ 2 मई और चुनाव आयोग की घोषणा का इंतजार कीजिए।
पहले चरण और दूसरे चरण में मतदान प्रतिशत ने प्रमाणित कर दिया था कि पश्चिम बंगाल में मौजूदा सरकार की वापसी हो रही है। और इस पैगाम ने बीजेपी और उसके मुखिया नरेंद्र मोदी को बेचैन और विचलित कर दिया। पश्चिम बंगाल में सत्ता परिवर्तन का ध्योतक बने केंद्रीय गृह मंत्री की रातों की नींद हराम हो गई। और इस बेचैनी का असर तीसरे चरण की वोटिंग को देखने से मिला। पश्चिम बंगाल में तैनात लगभग एक हजार केंद्रीय वाहिनियों की चप्पे-चप्पे पर मौजूदगी करके वोटरों में एक भय का माहौल तैयार किया गया। वोटरों की सहायता की दुहाई देकर वोटरों को असहाय करने की साजिश रची गई। जांच के नाम पर उन्हेंअसहज किया जाता रहा। नतीजतन तीसरे चरण के मतदान की वोटिंग लगभग सबा दो प्रतिशत कम हो गई। यानी ममता बनर्जी को तीसरे चरण के चुनाव में दो से तीन सीटों के नुकसान की संभावना प्रबल हो गई। और ऐसा अनुमान लगाना गलत नहीं होगा कि बीजेपी ने वोट प्रतिशत में कमी का खेल खेलने के लिए खौफ का खेल चौथे चरण में कर दिया। वोटरों पर गोलियां चलवाकर लोगों मे दहशत फैला दी। नतीजतन चौथे फेज की वोटिंग प्रतिशत थोड़ी और कम हो गई। यानी चौथे फेज के चुनाव में 76.16 फीसदी की वोटिंग हुई।
सात फेज के मतदान के बाद कोई भी इस नतीजे पर पहुंच सकता है कि पश्चिम बंगाल में वहां की जनता ने अपने बंपर र्वोंटग से मौजूदा सरकार को राहत देने की कोशिश की है। क्योंकि जब-जब पश्चिम बंगाल में बंपर वोटिंग होती है तो मौैजूदा सरकार के लिए वह ऑक्सीजन साबित होती है। यानी ममता बनर्जी को वहां की जनता ने दोबारा सत्ता संभालने की अभी से दावत दे दी है। यह ममता बनर्जी के लिए राहत की बात है।
अब अंतिम फेज के चुनाव में कोरोना एवं अन्य किसी कारणों से वोट प्रतिशत घटकर 65 भी रहती है तो फिर भी ममता बनर्जी के लिए कोई नुकसानदेह साबित नहीं होगी। क्योंकि अगर इस सातवें चरण को भी आधार मानकर अगर चुनाव आयोग रिजल्ट निकाले तो भी ममता बनर्जी बहुमत के अपने आकड़े 148 को पार करती हुई नज़र आ रही है। ममता बनर्जी को इस सात चरण के चुनाव तक में लगभग 180 सीटें मिलती हुई दिख रही हैं। जाहिर है कि ममता बनर्जी इसबार सत्ता में दोबारा भारी बहुमत के साथ आ रही हैं।
संभावना और आशंका दोनों यही है कि पश्चिम बंगाल में कहीं दिल्ली का इतिहास न दोहरा दिया जाए। केजरीवाल की शक्ल में ममता न आ जाए। और दिल्ली बीजेपी की शक्ल में पश्चिम बंगाल बीजेपी। यानी बंगाल से बीजेपी का कहीं सूपड़ा ही साफ न हो जाए!