बीजेपी का दामन थामकर ज्योतिरादित्य सिंधिया को ही क्या मिला?

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ए आर आज़ाद

जितिन प्रसाद को बीजेपी का दामन थामने से पहले उनके सामने ज्योतिरादित्य सिंघिया उनके लिए एक नजीर थे। उन्हें यह समझना चाहिए था कि कांग्रेस का दामन छोड़कर और कांग्रेस के साथ छलकर बीजेपी का दामन थामने वाले ज्योतिरादित्य सिंघिया को क्या मिला? उन्होंने तो बीजेपी के लिए कांग्रेस की मध्य प्रदेश सरकार को ही दांव पर लगा दिया। उसका अस्तित्व खत्म कर दिया। यानी विधिवत और संविधान प्रदत्त रूप से बनी बनाई एक सरकार को साजिश की माचिस मारकर स्वाहा कर दिया। कांग्रेस से मुख्यमंत्री का पद चाहते थे। और बीजेपी में जाकर अपने पुरानी सरकार की कब्र खोदकर उन्हें मिला भी क्या तो राज्य सभा की मात्र सदस्यता!

गौरतलब है कि लगभग 15 महीने पहले ज्योतिरादित्य सिंघिया बीजेपी में शामिल हुए थे। उन्हें 15 महीने तक बीजेपी नचाती रही। अब उनके लोग कह रहे हैं कि इस महीने होने वाले कैबिनेट विस्तार में उन्हें शामिल किया जा सकता है। उनके लोगों का दावा है कि उन्हें रेल मंत्री बनाया जा सकता है या कम से कम उन्हें मानव संसाधन विकास मंत्री का पद सौंपा जा सकता है।

अब आप याद कीजिए 2007 में ज्योतिरादित्य सिंघिया को कांग्रेस ने केंद्रीय सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री बनाया था। 2009 में उन्हें वाणिज्य और उद्योग मंत्री का पदभार मिला। और वे राहुल गांधी के साथ बेहतर संबंधों के लिए भी जाने जाते रहें। कांग्रेस में उनका ऊंचा कद था। उनकी कांग्रेस में तूती बोलती थी। जो चाहते थे, कांग्रेस में उनका सुना जाता था। लेकिन कांग्रेस ने उन्हें एमपी का सीएम नहीं बनाया तो उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया। और उन्होंने छल से कांग्रेस की सरकार का पत्ता साफ कर दिया। लेकिन इतने षडयंत्र के बाद भी बीजेपी ने उन्हें इनाम दिया तो क्या? मात्र राज्यसभा की सदस्यता!

आज उनके शुभचिंतक जिस रेलमंत्री बनाए जाने की बात ज्योतिरादित्य सिंघिया के लिए कर रहे हैं। कांग्रेस ने राजीव गांधी के प्रधानमंत्रीत्व काल में उनके पिता को यह सम्मान दिया था। यानी ज्योतिरादित्य सिंघिया के पिता माधव राव सिंधिया को कांग्रेस ने 1986-1989 तक रेलमंत्री का तोहफा दिया। जब 1995 में नरसिंहा राव की सरकार थी तो माधव राव सिंधिया को मानव संसाधन विकास मंत्री बनाया गया। माधव राव सिंधिया 1995-1996 तक कांग्रेस सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री रहे।

अब सवाल है कि इससे ज्यादा बीजेपी ज्योतिरादित्य सिंघिया को क्या दे सकती है? देखें उनकी महत्वकांक्षा को परवान चढ़ाने में बीजेपी अपना कितना योगदान देती है। या फिर बीजेपी से मोहभंग कर वे भी मुकुल रॉय की तरह घर वापसी कर लेते हैं, यह भी एक यक्ष प्रश्न है। और इस प्रश्न का सही उत्तर वक्त के हाथ में है। देखिए ज्योतिरादित्य सिंघिया वक्त को अपनी कलाई में कितने समयों तक बांधे रहते हैं?