ए आर आज़ाद
लोकतंत्र देश का एक राष्ट्रपति राजतंत्र के शासक की तरह मनमानी करने लगा। जागरूकता के लिए विश्व प्रसिद्ध अमेरिकी जनता को ट्रंप के इस खेल को समझने में थोड़ा वक़्त ज़रूर लगा। लेकिन उनके कुछ फैसलों ने उन नागरिकों को इतना विचलित कर दिया कि उन्हें परिवर्तन की राह पकड़नी ही पड़ी। ट्रंप से बाइडेन तक का स़फर इसी बेचैनी और बदलाव की क्रांति की कहानी है।
अमेरिका में 20 जनवरी, 2021 का दिन अमेरिकी इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुआ। एक ऐसे राष्ट्रपति को आख़िरकार विदाई लेनी ही पड़ी, वो राष्ट्रपति कोई और नहीं डोनाल्ड ट्रंप थे। उन्होंने अपनी हार को जीत में बदलने के लिए अमेरिकी लोकतंत्र को दा़गदार बना दिया। लेकिन सारी ज़ोर-ज़बरदस्ती एक ईमानदार लोकतंत्र के पहाड़ तले बौनी साबित हुई। और प्रधान न्यायाधीश जॉन राबटर्स ने कैपिटल बिल्डिंग के वेस्ट फ्रंट में जो बाइडेन को शपथ दिलाई। अपनी शपथ लेने के बाद नए राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इसे लोकतंत्र और अमेरिका का दिन बताया।
जो बाइडेन के इस कथन से यह सा़फ ज़ाहिर होता है कि ट्रंप ने अपने छह वर्षों में अमेरिकी लोकतंत्र को अपने पद के खूंटे में बांधकर रखा। और जैसा जी चाहा, वैसा ही किया। यानी खूली मनमर्ज़ी। न कभी उन्होंने लोकतंत्र की लज्जा पर ध्यान दिया और न ही उन्होंने कभी लोकतंत्र की सज्जा के लिए काम किया। लोकतंत्र देश का एक राष्ट्रपति राजतंत्र के शासक की तरह मनमानी करने लगा। जागरूकता के लिए विश्व प्रसिद्ध अमेरिकी जनता को ट्रंप के इस खेल को समझने में थोड़ा वक़्त ज़रूर लगा। लेकिन उनके कुछ फैसलों ने उन नागरिकों को इतना विचलित कर दिया कि उन्हें परिवर्तन की राह पकड़नी ही पड़ी। ट्रंप से बाइडेन तक का स़फर इसी बेचैनी और बदलाव की क्रांति की कहानी है।
जो बाइडेन ने यूं ही नहीं कहा,‘‘यह लोकतंत्र का दिन है, अमेरिका का दिन है।’’ क्योंकि बाइडेन को पता था कि ट्रंप युग में अमेरिकी आवाज़ को दमन का शिकार होना पड़ा। वहां जनता की आवाज़ अनसुनी हुई है। वहां विभाजनकारी नीति अपनाई गई है। धार्मिक भेदभाव और नस्लवाद को बढ़ावा दिया गया है। इसलिए बाइडेन ने इसी कड़ी को ख़त्म करने का आह्वाण करने में अपने मज़बूत इरादे का परिचय दिया।
अब जो बाइडेन अमेरिका को दोबारा प्रजातांत्रिक और लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ आस्थावान होकर उस मु़काम पर फिर से पहुंचाएंगे, जहां अमेरिका ट्रंप के पहले तक क़ायम था। बाइडेन के लिए धर्म आधारित भेदभाव और नस्लवाद अमेरिकी हित में नहीं है। ज़ाहिर है बाइडेन कई सारे मुस्लिम देशों से आवाजाही पर लगी पाबंदी को फौरन हटाएंगे। और ट्रंप की उस दीवार के निर्माण को रोकेंगे जो अमेरिका-मैक्सिको सरहद के नाम से जाना जाता है। दरअसल घुसपैठिए अप्रवासन को रोकने के नाम पर ट्रंप ने इस दीवार का सहारा लिया था।
जो बाइडेन के साथ अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति के तौर पर कमला हैरिस ने भी शपथ ली। इस तरह उन्होंने 49वीं उपराष्ट्रपति के तौर पर अपनी पहचान बनाई। अमेरिका के इतिहास में प्रथम महिला उपराष्ट्रपति बनने का ताज उन्होंने अपने सिर पर रखा।
हालांकि ट्रंप ने शपथ-ग्रहण से कुछ घंटे पहले अपने निजी बंगले पर जाने की घोषणा कर दी। ज़ाहिर सी बात है फ्लोरिडा के पाम बीच पर मौजूद अपने मार-ए-लागो स्टेट में तत्काल अपना स्थाई निवास बना लिया है। फ्लोरिडा के पाम बीच पर मौजूद मार-ए-लागो स्टेट को ‘विंटर व्हाइट हाउस’ के नाम से भी जानते हैं। दरअसल डोनाल्ड ट्रंप अपने राष्ट्रपति के ओहदे पर रहते हुए बराबर आया-जाया करते थे। कहा जाता है कि 20 एकड़ में यह स्टेट फैला है। इस आलीशान मकान में 128 कमरे हैं। यहां से अटलांटिक महासागर का बेज़ोड़ मंज़र आंखों में शानदार नज़ारा बनकर दिखता है।