असम में बढे वोट प्रतिशत बीजेपी के तख्तापलट का इशारा

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ए आर आज़ाद

2021 का असम विधानसभा चुनाव पूरी तरह संपन्न हो गया। 6 अप्रैल को तीसरा यानी अंतिम चरण में शानदार वोटिंग हुई। असम में लगभग 82.29 फीसदी वोटिंग हुई है। जो पिछले दो चरणों के हुए मतदान से ज्यादा है। असम में तीसरे यानी अंतिम चरण के चुनाव के लिए 40 विधानसभा क्षेत्रों में वोटिंग हुई। इसके साथ ही असम के टोटल 126 विधानसभा के उम्मीदवारों का मुक़द्दर 2 मई तक के लिए ईवीएम मशीन में कैद हो गया है।

अगर हम 2021 के असम विधानसभा चुनाव की तुलना  2016 के विधानसभा असम विधानसभा चुनाव से करें तो पता चलता है कि 2016 में असम के दूसरे फेज यानी अंतिम फेज के चुनाव में 90 फीसदी से अधिक मतदान हुआ था। और मतदान का बढ़ा हुआ प्रतिशत जब नतीजों में बदला तो सरकार ही बदल गई। यानी 2016 में कांग्रेस की सरकार को जनता ने अपने अपार वोटिंग से हराकर सत्ता परिवर्तन का संदेश नतीजा निकलने से पहले ही दे दिया था। जबिक 2016 के पहले चरण के 65 विधानसभा क्षेत्रों के लिए 80 प्रतिशत मतदान हुआ था। यानी दूसरे चरण का मतदान असम के लिए एक संदेश रहता है। और जब असम में अंतिम चरण का मतदान बढ़ता है तो यह पैगाम देने के लिए होता है कि सत्तासीन अपना बोरिया बिस्तर बांध लो, नई सत्ता क़दम रखने वाली है। और 2016 के नतीजे में भी यही हुआ। यानी 2016 के जब नतीजे आएं तो उस नतीजे में कांग्रस का खूंटा उखड़ चुका है। उसे 126 में से महज 26 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। बीजेपी को फायदा हुआ। उसे 126 में से 60 सीटें मिलीं। असम गण परिषद को 14 तो बदरुद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ को 13 और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट को 12 और एक निर्दलीय की भी असम से 2016 में जीत हुई।

और असम के तीसरे और अंतिम चरण की वोटिंग बताती है कि असम की जनता वहां तख्तपलट करने वाली है। यानी असम में बीजेपी की तख्तापलट होने जा रही है।

इसकी वजह यह है कि असम और बंगाल के चुनाव नतीजे एक दूसरे से बिल्कुल अलग होते हैं। यानी बंगाल के वोटर और असम के मतदाताओं के मिजाज़ अलग-अलग होते हैं। बंगाल में जब वोटिंग प्रतिशत बढ़े तो समझिए कि मौजूदा सरकार को जनता जीवनदान देने जा रही है। लेकिन असम में अगर वोट प्रतिशत बढ़े तो समझिए कि जनता मौजूदा सरकार का तख्ता पलट करने वाली है। और इस लिहाज़ से आप कह सकते हैं कि असम में बीजेपी का सरकार बना पाना आसान नहीं है। यानी बीजेपी अपनी 60 सीटों को बचा नहीं पा रही है। यही वजह है कि अपनी असम की हार को पश्चिम बंगाल में पचा नहीं पा रही है।