कांग्रेस ने सिर्फ 55 साल शासन किया है। और लगभग 20 साल दूसरों ने। इसलिए आप सहज अंदाज़ लगा सकते हैं कि प्रधानमंत्री जब इस तरह के फैक्ट के साथ खिलवाड़ कर सकते हैं तो फिर दूसरे अबूझ फैक्टों और स्टेटिक्स के साथ किस तरह से खिलवाड़ करते होंगे वो तो श्रीराम ही जाने!
ए आर आज़ाद
बीजेपी नीत एनडीए सरकार ने अपने सात साल पूरे कर लिए हैं। इन सात सालों में देश की समस्या 70 गुना बढ़ चुकी है। लेकिन फिर यह सरकार अपने सात साल का मु़काबला 70 साल से करने का दंभ भर रही है। हालांकि जिस कांग्रेस पर देश में 70 साल शासन करने का बीजेपी आरोप लगा रही है, वह आरोप ही अपने आपमें मिथ्या है। छल है। धोखा है। और अज्ञानता की चरम सीमा है। और जनता को मूर्ख समझने की सबसे बड़ी भूल है।
दरअसल देश की आज़ादी 1947 से 1921 यानी आज तक का समय ले लें तो टोटल 74 साल होता है। और अगर इसे 2014 से तुलना करें तो आज़ादी के 67 साल होते हैं। जब 2014 में आजादी के ही 67 साल पूरे होते हैं फिर कांग्रेस ने 70 शासन कैसे कर लिए? यह एक ऐसा सवाल है, जिससे जागरुक जनमानस के बीच एक संदेश जाता है कि या तो बीजेपी और प्रधानमंत्री का गणित ग़लत है। या उनकी सोच ग़लत है। यानी बीजेपी देश की जनता को अत्यंत मूर्ख समझती है। या फिर बीजेपी ही स्वयं में अत्यंत मूर्ख है। अगर केंद्र सरकार और उनके मुखिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आरोप है कि कांग्रेस ने देश में 70 साल शासन किया तो क्या एक प्रधानमंत्री को इस तरह की झूठ बोलनी चाहिए? अगर कांग्रेस ने 2014 तक में 70 साल शासन किया तो फिर उस हिसाब से देश की आज़ादी 1947 में हुई है, इसे प्रधानमंत्री, बीजेपी और संघ झुठलाने की कोशिश कर रही है। वह देश की आज़ादी के दिन और वर्ष के साथ खिलवाड़ करना चाहती है। और देश की जनता को मूर्ख बनाकर राष्ट्रवादी होने का मात्र ढोंग रचती आ रही है। जनता को धर्म का अफीम खिलाकर बीजेपी अब तक शासन करती रही है। लेकिन किसी भी नशे की एक मियाद होती है। उस मियाद के बाद बीजपी और प्रधानमंत्री की झूठ पकड़ा जाना स्वाभाविक है। देश की जनता समझ चुकी है कि प्रधानमंत्री झूठ बोलने की कला-कौशल में पूरी तरह पारंगत हो चुके हैं। लेकिन झूठ की भी एक सीमा और सरहद होती है। प्रधानमंत्री ने दोनों को लांघ दिया है। और यही उनके लिए लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन माना जा रहा है। अब देश की जनता की आंखें खुल गई हैं। बंगाल की जनता ने देश का प्रतिनिधित्व जनादेश देते हुए जता और बता दिया कि अब देश में झूठे और बड़बोले के लिए कोई जगह नहीं है।
बहरहाल चर्चा कांग्रेस के 70 साल के शासन पर केंद्रित है। और इस आलोक में आपको समझना होगा कि बीजेपी जब इस सामान्य लेकिन ऐतिहासिक तारी़ख को तोड़-मरोड़कर पेश कर सकती है तो फिर अनुमान लगाइए कि वह रोज़गार, कारोबार, स्वास्थ्य, रक्षा और बजट जैसे जनता की समझ से बाहर के मामले को किस तरह से तोड़-मरोड़कर पेश करती होगी? यानी वह आंकड़ों का खेल-खेलकर झूठे आंकड़ों का एक चेहरा और मोहरा तैयार करती है। और उस जाल में देश की जनता फंस जाती है। उसके पास कोई ऐसे सूत्र ही नहीं होते हैं, जिससे वो पता लगा सके कि इसमें सच्चाई कितनी है? क्योंकि इस तरह की सच्चाई में न तो उनकी दिलचस्पी होती है और न ही किसी भी तरह की ज़रूरत।
अब देखिए कांग्रेस पर इतना बड़ा आरोप लगता है। और कांग्रेस ख़ामोश होकर इसे सुनती जाती है। यानी कांग्रेस को भी यह पता नहीं है कि उसने देश में कितने सालों तक शासन किया है।
सबको मालूम होना चाहिए कि देश के इन 74 सालों के शासन में मोरारजी भाई देसाई की भी सरकार बनी। भारत के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई का
कार्यकाल दो वर्ष, चार महीने और चार दिनों का रहा। 24 मार्च, 1977 से 28 जुलाई, 1979 तक वे देश के प्रधानमंत्री रहे। लगभग सबा दो साल चलने वाली मोरारजी देसाई की सरकार क्या कांग्रेस की थी? या संघ और बीजेपी की संलिप्ता वाली सरकार थी? यह सवाल कांग्रेस को ज़रूर पूछना चाहिए था। लेकिन कांग्रेस न जाने किस दुनिया में जी रही है और बड़े शौक से अपने पूर्वजों पर लगे आरोपों को पी रही है।
अब आइए बात पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह की करते हैं। उन्होंने इस देश पर 11 महीने और आठ दिनों तक शासन किया। उनका कार्यकाल 2 दिसंबर, 1989 से 10 नवम्बर, 1990 तक रहा।
दरअसल 1989 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस राजीव गांधी के नेतृत्व में बुरी तरह से पराजित हुई। कांग्रेस को महज 197 सीटें ही मिल सकीं। वहीं वीपी सिंह के राष्ट्रीय मोर्चे को 146 सीटें मिलीं। तब बीजेपी और सीपीआई ने समर्थन दिया। बीजेपी को 86 सीटें आईं थीं और लेफ्ट के 52 सांसद जीत कर आए थे। इस तरह से राष्ट्रीय मोर्चा के 146, बीजेपी के 86 और लेफ्ट के 52 सीटों के योग से 284 सीटें बनीं। और तब वी पी सिंह प्रधानमंत्री बने। और
चौधरी देवीलाल को उप प्रधानमंत्री बनाया गया। यानी कहने का आशय यह है कि त़करीबन एक साल वीपी सिंह ने भी शासन की और उस शासन में बीजेपी भी बराबर की ह़क़दार थी।
वीपी सिंह के बाद समाजवादी जनता पार्टी के मुखिया चंद्रशेखर कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने? उन्होंने देश के आठवे प्रधानमंत्री के तौर पर सात महीने और 11 दिनों तक शासन किए। उनका कार्यकाल 10 नवंबर, 1990 से 21 जून, 1991 तक रहा। हालांकि विधिवत रूप से उन्होंने 6 मार्च, 1991 को ही इस्तीफा दे दिया था। बा़की समय के लिए वे कार्यवाहक प्रधानमंत्री के तौर पर रहे। यानी उनका वास्तवकि कार्यकाल आप लगभग चार महीने भी मान सकते हैं।
आपको याद होगा कि बीजेपी की सरकार मई 1996 में भी बनी थी। अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने थे। लेकिन लोकसभा में बहुमत साबित करना उनके लिए कठिन हो गया। नतीजे में 13 दिनों में उनकी सरकार गिर गई। और इस घटना क्रम में जनता दल उस समय तीसरे बड़े दल के रूप में उभरी थी। उसे 46 सीटें आईं थीं। कांग्रेस को 140 सीटें आईं थीं। कांग्रेस और जनता दल की जुगलबंदी हुई। और इस तरह से जनता दल के एचडी देवगौड़ा को यूनाइटेड फ्रंट का नेता चुना गया। इस फ्रंट में देश की 13 पार्टियां शामिल हुईं। और कुल सांसदों की तादाद 192 हो गईं। और एचडी देवगौड़ा देश के प्रधानमंत्री बन गए। वे लोकसभा सांसद भी उस समय नहीं थे। वे उस समय कर्नाटक के सीएम थे। उनकी सरकार 10 महीने 20 दिनों में ही दम तोड़ गई। एचडी देवगौड़ा 1 जून,1996 से 21 अप्रैल,1997 तक देश के प्रधानमंत्री रहे।
इनके बाद आई के गुजराल देश के 12वें प्रधानमंत्री बने। उनका कार्यकाल 21 अप्रैल,1997 से 19 मार्च,1998 तक रहा। यानी उन्होंने 10 महीने और 26 दिनों तक प्रधानमंत्री के ओहदे को सुशोभित किया।
1998 में जब आम चुनाव तो किसी को भी पूरी तरह जनादेश नहीं मिला। एआईएडीएमके का समर्थन मिला और एनडीए की केंद्र में सरकार बनी। करीब 13 महीने बाद यानी अप्रैल, 1999 में एआईएडीएमके ने वाजपेयी सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। इस नतीजे में सरकार अल्पमत में आ गई। जब राष्ट्रपति ने सरकार को बहुमत साबित करने के लिए कहा तो वाजपेयी सरकार को विश्वास प्रस्ताव पेश करना पड़ा। नतीजे में 17 अप्रैल, 1999 को संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हुई। और सरकार एक वोट से हार गई। और इस तरह त़कीरबन तेरह महीने में सरकार गिर गई।
फिर 1999 में जब चुनाव हुआ तो एनडीए को बहुमत मिला। और अटल बिहारी वाजपेयी 1999 से 22 मई, 2004 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। यानी अटल बिहारी वाजपेयी कुल तीन बार प्रधानमंत्री रहें। और उनमें से उन्होंने सिर्फ एक बार अपना प्रधानमंत्री का पूरा पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। और यही उनका अंतिम कार्यकाल भी साबित हुआ। इस तरह से अटल जी पहली बार में तेरह दिन, दूसरी बार में तेरह महीने और तीसरी बार में पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। यानी वाजपेयी जी लगभग 73 महीने तक देश के प्रधानमंत्री रहे। यानी छह साल, तीन महीने और तेरह दिनों तक वे देश के प्रधानमंत्री रहे।
2014 के चुनाव में बीजेपी अपार बहुमत से जीती और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने। उन्होंने पूरे पांच साल तक अपना कार्यकाल पूरा किया। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी भारी बहुमत से जीती। और नरेंद्र मोदी ही प्रधानमंत्री रहे। अभी-अभी उनका 2021 में कार्यकाल का दूसरा साल पूरा हुआ है। यानी उन्होंने अबतक देश पर सात साल का शासन पूरा कर लिया है।
अब आप गौर करें तो पाएंगे कि मोदी जी फैक्ट के साथ खिलवाड़ करने में कितने माहिर हैं! उनकी पहली झूठ पकड़ी यह जाती है कि 2014 में देश की आज़ादी के 70 साल भी नहीं हुए थे तो फिर कांग्रेस ने 70 साल शासन कैसे कर लिया? 2014 के बाद 2019 में यानी पांच साल बाद के 2019 के चुनाव में भी उन्होंन यही जुमला अपनाया। तब देश को आज़ाद हुए 72 साल हुए थे। और 74 साल में कांग्रेस ने 70 साल कैसे शासन कर लिया? लेकिन उन्हें झूठ बोलना था, उन्होंने बोला। उन्हें जनता को बेवकू़फ समझना था, उन्होंने जनता को बेवकू़फ समझा। उन्हें जनता को बेवकू़फ बनाना था, उन्होंने जनता को बेवकू़फ बनाया। जब 2021 में मोदी सरकार के सात साल पूरे हुए तो भी सात साल बनाम 70 साल का शिगू़फा छोड़ा। 2021 में आज़ादी के 74 साल पूरे हुए तो कांग्रेस ने 70 साल शासन कब कर लिया?
अब आप मोदी जी की पड़ताल कीजिए। 2021 तक देश की आज़ादी को 74 साल हुए। इस 74 सालों में मोदी ने 2021 तक में सात साल का कार्यकाल पूरा किया। बीजेपी की सरकार अटल जी के नेतृत्व में 1996 में तेरह दिन, 1998-1999 में तेरह महीने और 1999 से 2004 तक में साठ महीने शासन किया। यानी कुल यानी छह साल, तीन महीने और तेरह दिनों तक शासन किया।
बात वीपी सिंह सरकार की कीजिए। उन्होंने 11 महीने और आठ दिनों तक शासन किया। उनका कार्यकाल 2 दिसंबर, 1989 से 10 नवम्बर, 1990 तक रहा। वी पी सिंह के बाद समाजवादी जनता पार्टी के मुखिया चंद्रशेखर ने सात महीने 11 दिनो तक शासन किए। उनका कार्यकाल 10 नवंबर, 1990 से 21 जून, 1991 तक रहा। फिर एचडी देवगौड़ा देश के प्रधानमंत्री बने। उनकी सरकार 10 महीने 20 दिनों तक चली। एचडी देवगौड़ा 1 जून,1996 से 21 अप्रैल,1997 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। इनके बाद आई के गुजराल देश के 12वें प्रधानमंत्री बने। उनका कार्यकाल 21 अप्रैल,1997 से 19 मार्च,1998 तक रहा। यानी उन्होंने भी अपना कार्यकाल 10 महीने 26 दिनों तक पूरा किया।
अब थोड़ा और पीछे जाइए। भारत के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई का कार्यकाल दो वर्ष, चार महीने और चार दिनों का रहा। 24 मार्च, 1977 से 28 जुलाई, 1979 तक वे देश के प्रधानमंत्री रहे।
भारत के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह बने। उनका कार्यकाल पांच महीना, 17 दिनों का रहा। यानी चौधरी चरण सिंह ने अपना कार्यकाल 28 जुलाई, 1979 से 14 जनवरी, 1980 तक किया।
अब आप इन सबको जोड़ लीजिए
- मोरारजी देसाई 02 वर्ष 04 महीना 00 दिन
- चौधरी चरण सिंह 00 वर्ष 05 महीना 00 दिन
- वीपी सिंह 00 वर्ष 11 महीना 08 दिन
- चंद्रशेखर 00 वर्ष 07 महीना 11 दिन
- एचडी देवगौड़ा 00 वर्ष 10 महीना 20 दिन
- आई के गुजराल 00 वर्ष 10 महीना 26 दिन
- अटल बिहारी वाजपेयी 00 वर्ष 10 महीना 26 दिन
- अटल बिहारी वाजपेयी 00 वर्ष 00 महीना 13 दिन
- अटल बिहारी वाजपेयी 05 वर्ष 00 महीना 00 दिन
- नरेंद्र मोदी 05 वर्ष 00 महीना 00 दिन
- नरेंद्र मोदी 02 वर्ष 00 महीना 04 दिन
यानी इस सारणी के मुताबिक गैर कांग्रेसियों की 19 वर्षों तक इस देश पर राज रहा है। यानी आप देश की आज़ादी से 2021 तक के 74 सालों पर गौर करें तो आपको अंदाज़ लग जाएगा कि कांग्रेस का इस देश पर सि़र्फ 55 साल ही शासन रहा है। और गै़र कांग्रेसियोें ने भी लगभग दो दशक इस देश पर शासन किया है। यानी जब प्रधानमंत्री कांग्रेस पर 70 साल के शासन का आरोप लगाते हैं तो साफ ज़ाहिर कि प्रधानमंत्री झूठ बोल रहे होते हैं। इसलिए कि कांग्रेस ने सिर्फ 55 साल शासन किया है। और लगभग 20 साल दूसरों ने। इसलिए आप सहज अंदाज़ लगा सकते हैं कि प्रधानमंत्री जब इस तरह के फैक्ट के साथ खिलवाड़ कर सकते हैं तो फिर दूसरे अबूझ फैक्टों और स्टेटिक्स के साथ किस तरह से खिलवाड़ करते होंगे वो तो श्रीराम ही जाने!