ए आर आज़ाद
मैं देश बोल रहा हूं
मुझे बोलना पड़ रहा है
क्योंकि
तुम सब ख़ामोश हो गए हो
हम जानते हैं
तुम्हारी ख़ामोशी का सबब
गांधी ने बोला था,
चुप करा दिए गए!
मैं देश बोल रहा हूं
मुझे बोलना पड़ रहा है
मैंने सुप्रीम कोर्ट में झांका
ताकि इंसाफ़ को समझ सकूं
सर्वोच्च अदालत कांप रही थी
झरोखे से झांका
तो देखा- सामने सरकार खड़ी थी
मैं देश बोल रहा हूं
मैंने
कई स्वायत्त संस्थाओं का दौरा किया
ताकि
जान सकूं इनके रहते क्यों हो रहा है ऐसा
पहुंचा चुनाव आयोग
देखा
सब इंतज़ार में बैठे हैं
अगले इलेक्शन के लिए
आने वाले उन पत्र के लिए
जिसपर अमल करना ज़रूरी और लाज़मी है
मैं समझ गया
फिर भी रिज़र्ब बैंक गया
देखा तो दंग रह गया
सरकार ने तो रिज़र्ब बैंक को
सोच और आदेश के लिफ़ाफ़े में बंद कर रखा है
मैं देश बोल रहा हूं
मैं पीएम हाउस गया
देखा तो लगा
उसका नाम तो मंडी हाउस होना चाहिए था
वहां योजना नहीं अभिनय पास हो रहा था
मैं देश बोल रहा हूं
मैं होम मिनिस्ट्री गया
उसे देखा
तो लगा उसे पार्टी ऑफिस होना चाहिए था
वहां ख़रीद-फ़रोख़्त
और
पार्टी में जोड़-तोड़ की क़वायद चल रही थी
मैं देश बोल रहा हूं
मैं सीबीआई महकमा गया
दंग रह गया देखकर
ये तोते बना दिए गए हैं
मैं देश बोल रहा हूं
मुझे जाना पड़ा इन्कम टैक्स ऑफिस
छुप-छुपाकर
कुछ वक़्त गुज़ारे
सब के ज़हन और अल्फ़ाज़ एक से थे
अगर इस फ़ाइल पर हम न नकेल कसे
तो सरकार हमारी नकेल कस देगी
मैं देश बोल रहा हूं
जब मैंने सिक्के के दोनों पहलू
को देखना चाहा
तो देखा उस दफ़्तर को भी
जिसे लोग आज विपक्ष कहते हैं
वहां भी
लोग व्याकुल हैं
सिर्फ़ अपने लिए
उनकी योजना में भी अपना भला है
और ज़ुबां पर जनता का दर्द
दो चेहरे में सब जी रहे हैं
इधर के रहनुमा हो या उधर के रहनुमा!
रहनुमाई
दोनों तरफ़ की संदेहास्पद!
मैं देश बोल रहा हूं
सोचा
लोकतंत्र के जनार्दन की भी ली जाए सुध
वे सब के सब भी
अपने और सिर्फ़ अपने में जीते-मरते दिखे
सबकी मंशा एक
अपना-अपना सिर्फ़ अपना पेट भरना
मैं देश बोल रहा हूं
सोचता हूं अब
काश! मुग़ालते में रहता तो अच्छा था
क्योंकि
लग रहा था-
ऐसा कि देश का हर नागरिक मेरा है
मेरे लिए जीता है
मेरे लिए मरता है
मैं ही हूं उसका धर्म
मैं ही हूं उसका कर्म
लेकिन
यहां तो
देश है गौण
लोकतंत्र उसका कौन
सब वतन पर मिटने वाला आज है मौन
सब
देश को मोहरा की तरह इस्तेमाल कर रहा है
वह राजा हो या रंक
मैं देश बोल रहा हूं
सोचता हूं अब
कि आज मैं अपने-आपको क्या समझूं
रोऊं या विलाप करूं
मैंने तो इतना
धोखा अंग्रेज़ों के रहते भी नहीं खाया
जितना आज मेरी आंखों ने खाया है
मैं देश बोल रहा हूं
लेकिन
मैं किससे बोल रहा हूं
क्या उनसे जो समझते नहीं देश का मतलब
जो मानते नहीं लोकतंत्र की मर्यादा
जो रहनुमा बनकर करते हैं गद्दारी
या जो गद्दारों की ताजपोशी कर
कहलाते हैं-जनता-जनार्दन
उफ्फ! छी! धिक्कार!
मैं देश बोल रहा हूं
अब उससे बोल रहा हूं
जिनके लिए है देश प्रथम
मैं देश बोल रहा हूं
कुछ करो वतन की ख़ातिर
वतन बनेगा तो तुम स्वयं बनोगे
मैं देश बोल रहा हूं
देश की ख़ातिर
कुछ करना चाहते हो तो
बस इतना करो
सत्य बोलो
सत्य का सम्मान करो
देश की संपत्ति बचाने का लो संकल्प
कुछ से घृणा करने की नौबत आए तो
सबसे पहले राजनीति से घृणा करो
विश्वास करो पड़ोसी पर
इंसान को तरज़ीह दो धर्म पर
मिलकर जीना सीखो
ये है मेरा ऑक्सीजन
मैं देश बोल रहा हूं
मैं वेंडिलेटर पर हूं
तुम बन जाओ मेरे लिए ऑक्सीजन
मैं जी उठूंगा फिर
जीवंत रूप में
तुम देखना
तुम्हारा देश फिर सिरमौर बनेगा विश्व में
तुम देखना
मैं देश बोल रहा हूं…!!!