बज़्म – ए- गुलिस्तान -ए- सुखन ने 23 जुलाई की रात मुशायरे का आयोजन किया। हमेशा की तरह, इस मुशायरे की अध्यक्षता सम्मानित मशहूर ओ मारूफ शायर अशरफ याकूबी ने की। इसका संचालन समी अहमद समर ने किया। इस मुशायरे के लिए कोलकाता के मशहूर शायर हलीम साबिर साहब के दो शेर दिए गए जो इस प्रकार हैं.
1- खून में डुबी हुई शाम ओ सहर अब के बरस
2- अब वो रस्मों रिवाज थोड़ी है
भाग लेने वाले शायरों के उनके रचना से एक-एक पंक्ति चुना गया है और उनके नाम इस प्रकार हैं
ज़ेहन पर है जर्द मौसम का असर अब के बरस
जाफरानी रंग में डूबा है घर अब के बरस
अशरफ याकूबी, पश्चिम बंगाल
उसके लहज़े से साफ़ ज़ाहिर है
वो बहुत खुश मिजाज थोड़ी है
इस्माईल परवाज़, पश्चिम बंगाल
जल चुका फिरका परस्तओ मेरा घर दंगों में
मुझको लुटने का नहीं अब कोई डर अब के बरस
तस्दीक अहमद खान तस्दीक, राजस्थान
भाई चारा दोस्ती का अब कहां नाम ओ नमउद
फिरका बन्दी है उरूज़ बाम पर अब के बरस
शराफ़त अली अंसारी शेरी, बरेलवी
हादसे क्यों रहें खमउश भला
अच्छे लोगों का राज़ थोड़ी है
शकील सहसरामी ,पटना
ए सियासत किया मुझे फिर से पड़े गा देखना
खून में डुबी हुई शाम ओ सहर अब के बरस
अयूब आदिल, पश्चिम बंगाल
तुम जला देते हो आ कर झोपड़ी अक्सर मेरा
हम बनाएंगे सुनो पानी में घर अब के बरस
डॉ. नसर आलम नसर, फुलवारी शरीफ
छोड़ कर हम वतन को जाएं क्यों
बाप का तेरे राज़ थोड़ी है
मिम ऐन लाडला, पश्चिम बंगाल
ना ही कोई हिजाब है सर पर
मांओं बहनों को लाज थोड़ी है
समी अहमद समर , सारण बिहार
कितने वर्षों मेरे दिल पर है सितम सब ने किया
इस लिए मैंने भी सीखा ये हुनर अब के बरस
हिना नय्यर , रामपुर यूपी
दर्द में भी न मुस्कुराऊं मैं
ऐसा अपना मिजाज थोड़ी है
सैफ देवघरी, झारखंड
इश्क़ में ये तजूर्बा करके कहा है राज़ ने
छलनी छलनी हो गया है ये ज़िगर अब के बरस
असलम राज़, अररिया बिहार
दाम सब का बढ़ा है इस खातिर
मुफ्त मिलता अनाज अब के बरस
डॉ. ए एम इजहार-उल-हक अज़हर, पटना
मुशायरा अशरफ याकूबी और समी अहमद समर की अध्यक्षता और विशेष टिप्पणियों के साथ संपन्न हुआ।