लालू प्रसाद यादव को झारखंड हाईकोर्ट से जमानत

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ए आर आज़ाद

आरजेडी के लिए खुशी की खबर है कि लालू प्रसाद यादव की जमानत झारखंड हाईकोर्ट ने मंजूर कर ली। और इस हाईकोर्ट की दरियादिली से आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव अब जेल से छूटकर सीधे अपने परिवार और कुनबों के बीच कुछ दिनों तक आराम की सांसें ले सकेंगे। दरअसल दुमका कोषागार गवन के मामले में हाईकोर्ट में कई बार लालू प्रसाद यादव की जमानत पर सुनवाई हो चुकी है। यह जमानत हाईकोर्ट ने दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ रुपए की अवैध निकासी के मामले में जमानत दी है। झारखंड हाईकोर्ट में जस्टिस अपरेश सिंह की अदालत ने 17 अप्रैल को आरजेडी प्रमुख और दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद को जमानत देने का फैसला सुनाया। लालू प्रसाद यादव पर चाईवासा और देवघर कोषागार से भी अवैध निकासी के मामले में सजा हुई है। हालांकि इस मामले में उन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी है। लेकिन दुमका कोषागार के मामले में कई बार सुनवाई के बावजूद उन्हें जमानत नहीं मिल सकी। यानी सीबीआई अपनी दलील के जरिए हर बार लालू प्रसाद यादव को जमानत मिलने में एक मजबूत दीवार बनकर खड़ी रही। मालूम हो कि लालू प्रसाद यादव पर रांची के डोरंडा कोषागार से भी अवैध निकासी का मामला चल रहा है। इस मामले में अब भी ट्रायल जारी है।

लेकिन इसबार सीबीआई ने कोई ठोस आधार ने बताकर हाईकोर्ट को इशारा कर दिया कि अब लालू प्रसाद यादव को आप जमानत दे सकते हें। दरअसल इसका सियासी पंडित सियासी मतलब भी निकाल रहे हैं। दरअसल बिहार विधानसभा के अंदर और बिहार विधानसभा के बाहर लालू प्रसाद यादव के पुत्र और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर अचानक हमला यूं ही नहीं था। सियासी पंडितों के मुताबिक नीतीश कुमार को औकात दिखाने के लिए चुनाव से पहले एलजेपी के युवा और पार्टी के सर्वेसर्वा चिराग पासवान को लगाया गया। उन्होंने खुद डूबकर नीतीश को डूबाने की कोशिश की। लेकिन नीतीश कुमार ने चुनावी वैतरणी पार कर लिया और सरकार बनाकर उसके मुखिया भी बने रहे। लेकिन फिर उनके दोस्त यानी बीजेपी के कुछ नेताओं का मन नहीं भरा तो विपक्ष के युवा नेता तेजस्वी यादव को लालू की जमानत का चारा फेंका गया और तेजस्वी यादव इस चारे में फंस गए। और उन्होंने नीतीश पर हल्ला बोलना शुरू कर दिया। नीतीश को असहज करने की कोशिश की। इस कोशिश का उन्हें ईनाम भी मिला। सरकार के तोता यानी सीबीआई ने जो अपनी मजबूती हर बार दिखाती थी, इस बार अपनी कमजोरी दिखाकर लालू प्रसाद यादव के वकील को एक मौका दे दिया कि वह अपने क्लाइंट के लिए अपने अनुकूल झारखंड हाईकोर्ट में फैसला करवा लें। और इस तरह से लालू प्रसाद यादव को झारखंड हाईकोर्ट से जमानत मिल गई। हालांकि इस राजनीतिक जमानत के अलावा धार्मिक जमानत का भी एक नजरिया पेश किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि अपने पिता लालू प्रसाद यादव की जमानत अर्जी मंजूर होने के लिए मुसलमानों के सबसे पवित्र महीना रमजान के मौके पर लालू प्रसाद यादव की बेटी ने

 

अपने पिता की जमानत के लिए रोजे रखे थे। दरअसल यह बात इसिलए उठ रही है कि खुद लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिनी आचार्य ने सोशल मिडिया में अपनी इस उदगार का इजहार किया था। कहा जाता है कि लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने भी नवरात्र के मौके पर पिता की रिहाई के लिए देवी पूजा शुरू कर दी थी। अब जो भी हो धर्म और आस्था वाले आस्था के नजरिए से देखें और राजनीतिक सोच रखने वाले राजनीतिक नजरिए से देखें। दोनों नजरिया भी सच हो सकता है और इतना तो सच है ही कि तेजस्वी यादव को हरियाणा से ज्ञान प्राप्त हो ही गया था कि पिता को जेल से कैसे छुड़ाया जाता है। और इसी ज्ञान का सहारा लेकर उन्होंने नीतीश कुमार पर हमला बोलकर अपने पिता को छुड़ाकर एक जीत तो हासिल कर ली। और भाजपा को बता दिया कि हम तुम्हारे हैं। जब चाहो, जैसे चाहो इस्तेमाल कर लो। चचा की लंका जलाने के लिए हम काफी हैं।