योगी की अकड़ तोड़ दी हाईकमान ने?
ए आर आज़ाद
उत्तर प्रदेश की सियासत पल-पल करवट ले रही है। अगले वर्ष उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने हैं। और ठीक चुनाव की बिगुल बजने से पहले भारतीय जनता पार्टी के भीतर उत्तर प्रदेश के नेतृत्व और उसकी बागडोर को लेकर जूतम पैजार शुरू हो गया है। मामला यहां तक पहुंचा कि संघ को भी इसमें दखल देनी पड़ी। उत्तर प्रदेश बीजेपी में जबरदस्त ग्रुपबाजी शुरू हो गई। कौन किसके साथ है, इसकी थाह लगाने में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गच्चा खा गए। और उन्होंने संघ के वरदहस्त पर प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से भी पंगा ले लिया। आदित्यनाथ को संघ पर जो गुमान था, वह गुमान तब धराशाही हो गया जब न चाहते हुए भी संघ के इशारे पर प्रधानमंत्री से मिलने के लिए मजबूरन उन्हें दिल्ली जाना पड़ा। उनके बगावती तेवर पीएम से मिलते ही ठंडे हो गए। प्रधानमंत्री ने जिस अंदाज में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का काला चिट्ठा उनके सामने पेश कर दिया तो उसे देखकर वे भौचक्के रह गए। हतप्रभ रह गए। और हक्का-बक्का रह गए। इस मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री ने जता और बता दिया कि आपकी कैबिनेट में शामिल आपके ही सहयोगी मंत्री आपसे खफा हैं। और उन मंत्रियों की शिकायत की पुलिंदा भी उन्हें थमा दी गई।
जाहिर सी बात है कि योगी को दिन में तारे नजर आने लगे। उत्तर प्रदेश में योगी का कार्यकाल किसी भी आलोचना का मोहताज नहीं है। बतौर एक मुख्यमंत्री लोग उनकी कोई एक उपलब्धि खोजना चाहें तो वे उसे ढूंढ़ते रह जाएंगे। उन्होंने सिर्फ भगवा ब्रिगेड का ही नजारा पेश किया। विकास और वैभव से उनका कोई दूर-दूर तक का नाता नहीं है।
जाहिर सी बात है कि 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में उनके नेतृत्व को लेकर भी ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। उनके सहयोगी एवं उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य उनके लिए अवरोधक बने हुए हैं। और उसी केशव प्रसाद मौर्य को आगे बढ़ाकर बीजेपी नेतृत्व योगी आदित्यनाथ के साथ खेला कर रहे हैं।
इस खेला की तस्वीर 22 जून यानी मंगलवार को पूरे देश के सामने छा गई। केंद्रीय नेतृत्व के सामने उनकी क्या स्थिति है, इसका भी तब पता चल गया, जब वे आलाकमान के इशारे पर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के घर पर घुटने के बल चलकर पहुंचे थे।
दरअसल हाल ही में केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि 2022 का उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा, इसका फैसला आला कमान करेंगे। यानी मौर्य के बहाने योगी को यह संदेश दिया गया कि अगर अकड़ बनी रही तो उत्तर प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन अवश्यसंभावी है।
योगी का अपने सहयोगी उप मुख्यमंत्री मौर्य के घर जाना और वहां दूसरे उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा की मौजूदगी भी दिलचस्प दास्तान बयान करने के लिए भी काफी है। हत्ता कि इस मुलाकात में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नेता डॉ. कृष्ण गोपाल की मौजूदगी भी यह दर्शाने के लिए काफी है कि आखिर ऊंट किस करवट बैठता है।