शुक्रवार की रात दस बजे से सोमवार छह बजे तक दिल्ली में कर्फ्यू
ए आर आज़ाद
भारत की राजधानी दिल्ली में भी कोरोना कर्फ्यू का आगाज कर दिया गया है। इसका फैसला दिल्ली के उपराज्यपाल और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने साझा समीक्षा बैठक के बाद लिया। 15 अप्रैल यानी गुरुवार की दोपहर में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए ऐलान कर दिया कि दिल्ली में साप्ताहिक कर्फ्यू लगा दिए गए हैं। उन्होंने साफ कहा कि यह कर्फ्यू शुक्रवार की रात दस बजे से सोमवार की सुपह छह बजे तक मान्य रहेगा। यानी दिल्ली की जनता को साफ संदेश है कि आप अपनी सप्ताह की छुट्टी घर में बिताएं। और अब छुट्टी के दरम्यान अपने बचे हुए कामों या फिर फैमिली के सामने अगर घूमने का या रिश्तेदारों से मिलने का कोई प्लान है, तो उसे भूल जाएं।
दरअसल आवश्यक आवश्कताओं से जुड़ी चीजों को मुहैया कराए जाने वाली एजेंसियों और उनके लोगों को साप्ताहिक पास निर्गत किए जाएंगे। इसी पास के जरिए आवश्यक वस्तुओं की किल्लतों को दूर किया जाएगा। हालांकि केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में बैड की कमी नहीं है। उनके मुताबिक आज की तारीख तक पाच हजार बेड मौजूद हैं। उन्होंने जनता को भरोसा दिलाया कि वे अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड बढ़ाने के लिए तत्पर हैं । और इस मामले में उनकी युद्ध स्तर पर कोशिश जारी है।
उन्होंने कोरोना की भयावहता का उदाहरण देते हुए कहा कि दिल्ली में कोरोना के लगातार केस बढ़ रहे हैं। इस पर नियंत्रण के लिए ही वीकेंड कर्फ्यू लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि इससे कोरोना के चेन के टूटने की समंभावना प्रबल है।
इस वीकेंड कोरोना के दौरान कुछ शर्तों के साथ सिनेमा हॉल को खुला रखने की इजाजत दी गई है। यानी अपनी तीस फीसदी क्षमता के साथ सिनेमा हॉल खुले रहेंगे। ठीक इसी तरह कुछ शर्तों के साथ दिल्ली के रेस्त्रां यानी रेस्टुरेंट खुले रहेंगे। लेकिन वहां बैठकर खाने की इजाजत नहीं होगी। आप वहां खाना पैक करवाकर ले जा सकते हैं। लेकिन दिल्ली शहर के मॉल, जीम, एस्पा और ऑडिटोरियम पूरी तरह बंद रहेंगे।
कोरोना का यह संकट दिल्ली के बाजारों, मैट्रो, बसों, ग्रामीण रिक्शा से लेकर शेयरिंग ऑटो में उसी तरह देखने को नहीं मिलेगा, जिस तरह चुनाव वालों राज्यों में कोरोना संकट देखने को नहीं मिलता है। जहां-जहां चुनाव है, वहां-वहां कोरोना नहीं है। आज दिल्ली में चुनाव होता, तो शायद यहां भी कोरोना नहीं होता। कोरोना को एक अबूझ पहली बनाकर रख दिया गया है। लगता है कि यह सरकारी कोरोना है, जो सामाजिक दूरी के नाम पर समाज को बांटने में कारगर साबित हो रहा है। और सरकार को भी अपनी जिम्मेदारी से कोरोना के नाम पर मुक्त होने का भी मौका मिल जाता है।
आज जितनी भी मौतें हो रही हैं, सबको कोरोना के में तब्दील कर दिया जाता है। यानी अब किसी भी शख्स की मौत हार्ट अटैक से नहीं होती है। अब दिल का दौरा पड़ना बंद हो गया है। अब लीवर खराब होने से मौत नहीं होती है। अब किसी को लकवा नहीं मारता है। अब शूगर बढ़ने या घटने से किसी की मौत नहीं हो रही है। अब किसी का किडनी फेल नहीं हो रहा है। अब किसी की किडनी फेल होने से मौत नहीं हो रही है। अब किसी की मलेरिया से मौत नहीं होती है। अब डेंगू किसी को मौत के घाट नहीं उतारता है। चिकुनगुनिया का खौफ देश से खत्म हो गया है। अब सारी की सारी बीमिरयां देश और दुनिया से खत्म हो गई है। या यूं कह सकते हैं कि सारी की सारी बीमिरयों को कोरोना ने खा लिया है। और अब उसे खाने के लिए उसके पास कुछ नहीं बचा है। इसलिए वह बीमारी की जगह आदमी को खाने लगा है। आज जो भी बुखार, और सर्दी खांसी के हालत में अस्पताल पहुंचता है, उसे सीधे कोरोना बता दिया जाता है। अगर बुखार, सर्दी, खांसी कोरोना का लक्षण है तो फिर यह कोई बीमारी ही नहीं है। यह एक मियादी बुखार और बीमारी है जो अपने आप दो से तीन दिनों में ठीक हो जाती है। कोई भी मियादी बुखार जानलेवा नहीं होती है। और कोरोना अगर है भी तो वह महज मियादी बुखार की तरह है। मौत कोरोना से नहीं हो रही है, बल्कि मौत की अपनी वजह है। और सारी वजह को कोरोना का नाम देकर देश की जनता के साध धोखा किया जा रहा है। और इस धोखे में डॉक्टर भी शामिल हैं। किसी भी डॉक्टर में हिम्मत नहीं है कि वह खुलकर कह सके कि कोरोना कोई बीमारी नहीं है। कोरोना से मौत नहीं हो रही है बल्कि कोरोना के नाम पर मौत हो रही है। दरअसल डॉक्टर अगर सच बताएंगे तो उनके अस्पताल और निजी क्लीनिक कैसे चलेंगे। आज के डॉक्टर भी लुटेरे और डकैत से कम नहीं हैं। उन्होंने चिकित्सा पेशा कोई धर्मार्थ के लिए नहीं अपनाय़ा है। उन्होंने अपनी तिजौड़ी भरने के लिए इस पेशे को चुना है। वह तो वही बोल बोलेंगे, जिनसे उनका धंधा चलता हो और फलता-फुलता हो।
हालांकि देश में कुछ ऐसे भी डॉक्टर हैं, जो पहले दिन से चीख-चीखकर कह रहे हैं कि देश में कोरोना नहीं है। कोरोना ऐसी कोई बीमारी नहीं है जो मौत का साया बनकर हमारे और आपके सामने मंडराए।