विभिन्न गुणों से लबरेज शख्सियत थे डॉ. भीमराव आंबेडकर

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एक लेखक के रूप में डॉ. आंबेडकर

ए आर आज़ाद

ये कुछ किताबें हैं। पहले गौर से इसके नाम पढ़ें और सुने। और फिर हम आपको पता लग जाएगा कि विभिन्न पेचीदा विषयों पर विस्तार से पुस्तक लिखने वाले देश के वे कौन महानायक हैं, जिन्होंने देश की आजादी में भी अपनी भूमिका निभाई और देश को आजादी के बाद भी राह दिखाने की कोशिश की।

1.एडमिनिस्ट्रेशन एंड फिनांसेज़ ऑफ़ द ईस्ट इंडिया कंपनी

2.द एवोल्यूशन ऑफ़ प्रोविंशियल फिनांसेज़ इन ब्रिटिश इंडिया

3.दी प्राब्लम आफ दि रुपी : इट्स ओरिजिन एंड इट्स सॉल्यूशन

4.अनाइहिलेशन ऑफ कास्ट्स

5.विच वे टू इमैनसिपेशन

6.फेडरेशन वर्सेज़ फ्रीडम

7.पाकिस्तान और द पर्टिशन ऑफ़ इण्डिया/थॉट्स ऑन पाकिस्तान रानडे, गांधी एंड जिन्नाह

8.मिस्टर गांधी एण्ड दी एमेन्सीपेशन ऑफ़ दी अनटचेबल्स

9.वॉट कांग्रेस एंड गांधी हैव डन टू द अनटचेबल्स ?

10.कम्यूनल डेडलाक एण्ड अ वे टू साल्व इट

11.हू वेर द शूद्राज ?

12.द कैबिनेट मिशन एंड द अंटचेबल्स

13.स्टेट्स एण्ड माइनोरीटीज

14.महाराष्ट्र एज ए लिंग्विस्टिक प्रोविन्स स्टेट

15.द अनटचेबल्स: हू वेर दे आर व्हाय दी बिकम अनटचेबल्स

16.थॉट्स ऑन लिंगुइस्टिक स्टेट्स: राज्य पुनर्गठन आयोग के प्रस्तावों की समालोचना

17.बुद्धा एंड हिज धम्मा

18.रिडल्स इन हिंदुज्म

19.डिक्शनरी ऑफ पाली लॅग्वेज

20.द पालि ग्रामर

21.वेटिंग फ़ॉर अ वीज़ा

22.अ पीपल ऐट बे

23.द अनटचेबल्स और द चिल्ड्रेन ऑफ़ इंडियाज़ गेटोज़

24.केन आय बी अ हिन्दू?

25.व्हॉट द ब्राह्मिण्स हैव डन टू द हिन्दुज

26.इसेज ऑफ भगवत गीता

27.इंडिया एंड कंयूनिज्म

28.रेवोलोटिओं एंड काउंटर-रेवोलुशन इन एनशियंट इंडिया

29.द बुद्धा एंड कार्ल माक्र्स

30.कोन्स्टिट्यूशन एंड कोस्टीट्यूशनलिज़म

जी आपने इन किताबों के नाम पढ़ लिए। ये किताब भिवा ने लिखे हैं। नहीं समझें आप। दरअसल भिवा डॉ. भीमराव आंबेडकर के बचपन का नाम था। 1914 तक उनका नाम स्कूल की पंजिका में भिवा रामजी आंबेडकर के तौर पर ही दर्ज था। कहा जाता है कि भिवा जब चौथी क्लास में था और वह चौथी क्लास पास कर गया तो उनके घर वाले एवं जाति विरादरी वालों ने इसे उत्सव के तौर पर मनाया। दरअसल भिवा जिस जाति का था, उस जाति के लोग उस वक्त चौथी क्लास भी पास नहीं के बराबर होते थे। भिवा के परिवार के शुभचिंतक और लेखक के रूप में प्रसिद्ध दादा केलुस्कर ने उन्हें चौथी पास करने की खुशी में बुद्ध की जीवनी भेंट की। और उसे पढ़कर यहीं से उनके मन में बुद्ध-दर्शन के पढ़ने के बाद उनका मन बौद्धिज्म की ओर मचलने लगा।

दरअसल भिवा अपनी पढ़ाई के प्रति इतना सजग और संवेदनशील था कि उसे पढ़ने और ज्ञान अर्जन के अलावा कुछ भी अच्छा नहीं लगता था। वह जब अपने परिवार के साथ 1897 में मुंबई पहुंचा तो एल्फिंस्टोन रोड पर मौजूद सरकारी हाईस्कूल में दाखिला ले लिया। 1907 मैट्रिक की परीक्षा पास की तो पढ़ाई का सिलसिला बदस्तूर जारी रहा। और इस तरह से भिवा बॉम्बे यूनिवर्सिटी से 1912 में भीमराव आंबेडकर ने अर्थशास्त्र और राजनीतिक विज्ञान में कला स्नातक की डिग्री हासिल कर ली। और फिर 1913 में उन्होंने मुंबई से सीधे अमेरिका का रूख़ किया। विदेशों में पढ़ाई के लिए उन्हें तीन सालों के लिए छात्रवृत्ति मिली। यह छात्रवृत्ति बड़ौदा के गायकवाड परिवार द्वारा मिला। छात्रवृत्ति की राशि जो उन्हें दी गई वह डॉलर में थी। यानी उन्हें प्रतिमाह 11.50 डॉलर भेजा जाता था। और इस तरह से उन्होंने 1915 में एमए पास कर लिया। 1996 में भीमराव आंबेडकर लंदन चले गए और वहां बैरिस्टर की पढ़ाई के लिए दाखिला लिया। इसके साथ ही साथ उन्होंने लंदन के ही स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स में भी दाखिला ले लिया। लेकिन आर्थिक संकट का सामना करते हुए दो साल बाद उन्हें मुंबई वापस लौटना पड़ा। क्योंकि तीन सालों के लिए बड़ौदा राज्य से मिली छात्रवृत्ति समाप्त हो चुकी थी। लेकिन उन्हें एक अंग्रेज मित्र ने इस संकट से उबार दिया। दरअसल मुंबई के पूर्व राज्यपाल लॉर्ड सिडनेम ने उन्हें मुंबई के सिडनेम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकॉनोमिक्स में राजनीतिक अर्थव्यवस्था के प्रोफेसर के रूप में नौकरी प्रदान करने में मददगार साबित हुए। और इस तरह से उन्होंने 1922 में बैरिस्टर की डिग्री हासिल कर ली और उन्हें ब्रिटिश बार में बैरिस्टर के तौर पर प्रवेश भी मिल गया। अगले साल 1923 में उन्होंने  अर्थशास्त में डीएससी यानी डॉक्टर ऑफ साइंस की उपाधि भा हासिल कर ली। और इस तरह से भीमराव आंबेडकर डॉ. भीमराव आंबेडकर के तौर पर दुनिया में छा गए।