क्या कहता है पश्चिम बंगाल के चौथे चरण के मतदान का संदेश?

330

ए आर आज़ाद

चौथे चरण के मतदान में अजीबोगरीब हिंसा हुई। केंद्रीय वाहिनी से पटा पश्चिम बंगाल के कोच विहार का क्षेत्र रक्तरंजित हो गया। इस रक्तरंजित का खेल किसी आतंकवादी ने नहीं किया, किसी नक्सली ने नहीं किया। दो गुटों की झड़प ने नहीं की। दो दलों के कार्यकर्ताओं ने नहीं किया। बल्कि केंद्र के अधीन आने वाली रक्षा वाहिनी ने किया। यानी सीआईएसएफ ने शक के आधार पर, मतदान केंद्रों में जबरन प्रवेश करने के आधार पर, हो-हल्ला करने के आधार पर ग्रामीणों पर गोली चला दी। सीआईएसएफ की गोली से मरने वाले चार युवा सितालकुर्ची के वोटर भी थे। और ग्रामीण भी थे।

दरअसल इस पूरी घटना में साजिश की बू आती है। षडयंत्र की बू इसलिए आती है कि पश्चिम बंगाल के वोटर का अपना एक अलग विचार है। जब-जब उन्हें लगता है कि मौजूदा सरकार को बनाए रखना है तो वे घर से बाहर निकलकर बड़ी संख्या में मतदान केंद्र पर पहुंच जाते हैं। और पहले चरण का मतदान ही  तय कर देता है कि कौन जीतने वाला है?

पहले चरण और दूसरे चरण में मतदान प्रतिशत ने प्रमाणित कर दिया था कि पश्चिम बंगाल में मौजूदा सरकार की वापसी हो रही है। और इस पैगाम ने बीजेपी और उसके मुखिया नरेंद्र मोदी को बेचैन और विचलित कर दिया। पश्चिम बंगाल में सत्ता परिवर्तन का ध्योतक बने केंद्रीय गृह मंत्री की रातों की नींद हराम हो गई। और इस बेचैनी का असर तीसरे चरण की वोटिंग को देखने से मिला। पश्चिम बंगाल में तैनात लगभग एक हजार केंद्रीय वाहिनियों की चप्पे-चप्पे पर मौजूदगी करके वोटरों में एक भय का माहौल तैयार किया गया। वोटरों की सहायता की दुहाई देकर वोटरों को असहाय करने की साजिश रची गई। जांच के नाम पर उन्हेंअसहज किया जाता रहा। नतीजतन तीसरे चरण के मतदान की वोटिंग लगभग सबा दो प्रतिशत कम हो गई। यानी ममता बनर्जी को तीसरे चरण के चुनाव में दो से तीन सीटों के नुकसान की संभावना प्रबल हो गई। और ऐसा अनुमान लगाना गलत नहीं होगा कि बीजेपी ने वोट प्रतिशत में कमी का खेल खेलने के लिए खौफ का खेल चौथे चरण में कर दिया। वोटरों पर गोलियां चलवाकर लोगों मे दहशत फैला दी। नतीजतन चौथे फेज की वोटिंग प्रतिशत थोड़ी और कम हो गई। यानी चौथे फेज के चुनाव में 76.16 फीसदी की वोटिंग हुई।

10 अप्रैल, 2021 को हुए चौथे चरण के चुनाव में कोच विहार की नौ सीटों पर मतदान हुए। हावड़ा की नौ सीटों पर मतदान हुए। हुगली की 10 सीटों पर मतदान हुए और दक्षिण चौबीस परगना की 11 सीटों पर मतदान हुए। अलीपुर द्वार की पांच विधानसभा क्षेत्रों में भी वोट डाले गए। यानी कुल 44 विधानसभा की सीटों पर मतदान का वोटिंग प्रतिशत 76.16 रहा।

कोच विहार की नौ सीटों पर 79.73 फीसदी वोटिंग हुई। उसी प्रकार हुगली की  10 सीटों पर मतदान प्रतिशत 76.02 रहा। दक्षिण चौबीस परगना की 11 सीटों पर 75.49 फीसद मतदान हुए। हावड़ा की नौ सीटों पर 75.03 प्रतिशत मतदान हुए। और अलीपुर द्वार की पांच सीटों पर 73.65 फीसदी मतदान हुए। यानी 294 सीटों में से 135 सीटों पर चौथे चरण में मतदान संपन्न हो चुका है। अब 294 में से 159 विधानसभा क्षेत्र बचे हैं, जहां मतदान होना है। चौथे फेज तक  मतदान का प्रतिशत घटकर 76 फीसद पर आ गया है। अगर हर फेज में इसी अनुपात में दो से तीन प्रतिशत की मतदान में कमी आती है तो चार चरणों में ममता बनर्जी को 12-20 सीटों का नुकसान होगा। और कुल नुकसान के बावजूद ममता बनर्जी 180 से 185 सीट लाने में कामयाब होगी। अगर पश्चिम बंगाल की जनता के दिलों में भय, लोभ और अन्य कोई कारणों से उन्हें घर से न निकलने पर विवश कर दिया जाता है और वोट प्रतिशत 65 प्रतिशत से भी कम हो जाता है तो फिर भी ममता बनर्जी 160 सीटों से ज्यादा पर अपनी वर्चस्व कायम कर लेगी। और सरकार बनाने के जादुई आंकड़ा 148 से कम से कम एक दर्जन से अधिक सीटों से आगे रहेगी। यानी इसबार विषम से विषम परिस्थितियों में ममता बनर्जी सत्ता के जादुई आंकड़ा 148 से काफी आगे रहेगी।

संभावना और आशंका दोनों यही है कि पश्चिम बंगाल में कहीं दिल्ली का इतिहास न कहीं दोहरा दिया जाए। केजरीवाल की शक्ल में ममता न आ जाए। और दिल्ली बीजेपी की शक्ल में पश्चिम बंगाल बीजेपी न कहीं वजूद में आ जाए। यानी बंगाल बीजेपी का कहीं सूपड़ा ही साफ न हो जाए!