राजीव रंजन नाग
22 मार्च,2021 को लोकसभा में एलजी को अधिकतम अधिकार प्रदान करने वाला बिल लोकसभा में पारित हो गया। यानी लोकसभा ने राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी। इस बिल में दिल्ली के उपराज्यपाल यानी एलजी की भूमिकाओं और अधिकारों को परिभाषित किया गया है।
लोकसभा में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने साफ किया कि संविधान के अनुसार दिल्ली विधानसभा से युक्त सीमित अधिकारों वाला एक केंद्र-शासित राज्य है। उच्चतम न्यायालय ने भी अपने फैसले में कहा है कि यह केंद्र-शासित राज्य है। उन्होंने कहा कि सभी संशोधन न्यायालय के फैसले के मुताबिक हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ स्पष्टताओं के लिए यह विधेयक लाया गया है। उन्होंने भरोसा जताया कि इससे दिल्ली के लोगों को लाभ होगा। उन्होंने अपनी बातों को स्पष्ट करते हुए कहा कि इसे राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं लाया गया है बल्कि तकनीकी कारणों से लाया गया है जिससे भ्रम की स्थिति दूर हो सके। लोकसभा में यह ध्वनिमत से पारित हो गया।
गृह राज्य मंत्री ने आगे कहा कि दिसंबर, 2013 तक दिल्ली का शासन सुचारू रूप से चलता था। और सभी मामलों का हल बातचीत से हो जाता था। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में विषयों को लेकर उच्च न्यायालय, उच्चतम न्यायालय में जाना पड़ा। दरअसल कुछ अधिकारों को लेकर कोई स्पष्टता नहीं थी।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि मंत्रिपरिषद के फैसले, एजेंडा के बारे में उप राज्यपाल को सूचित करना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि कुछ विषयों पर कुछ स्पष्टीकरण की जरूरत है।
गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि दिल्ली विधानसभा के साथ एक केंद्र्र शासित प्रदेश है। इसलिए इसकी तुलना किसी अन्य राज्य से नहीं की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक में किसी से कोई अधिकार नहीं छीना जा रहा है। विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों के अनुसार, इस विधेयक में दिल्ली विधानसभा में पारित विधान के परिप्रेक्ष्य में ‘सरकार’ का आशय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के उपराज्यपाल से होगा। इसमें दिल्ली की स्थिति संघ राज्य क्षेत्र की होगी, जिससे विधायी उपबंधों के निर्वाचन में अस्पष्टताओं पर ध्यान दिया जा सके। इस संबंध में धारा 21 में एक उपधारा जोड़ी जाएगी।