ऐसी बदहाली और कहां?

373

एस आर आज़मी

सुनिए नगर निगम की कहानी, निगम का शिकार हुई बेगूसराय की जनता

बेगूसराय नगर निगम की ठगी का शिकार शहर के बाशिंदे ही नहीं, पूरा बेगूसराय है। उम्मीदों के अच्छे दिन बदहाल सड़कों और टूटी-फूटी नालों के शिकार हो गए हैं। शिकारी कोई और नहीं बल्कि अपने हैं। और वो अपने, जिनपर शहर की जनता ने पूरा भरोसा जताया। भरोसा कैसे तोड़ा गया और कैसे बेगूसराय शहर रौनक की जगह गंदगी में तब्दील हो गया? इस पूरे अ़फसाना को समझने के लिए क्षेत्र के लोगों की दास्तान को अपनी आंखों से पढ़ जाइए। सारा मंज़र आपकी आंखों का हिस्सा बनकर दिलो-दिमा़ग पर छा जाएगा और फिर आप ़खुद कह उठेंगे हमें अब परिवर्तन चाहिए।

बेगूसराय नगर निगम क्षेत्र के लवहरचक, रामदीरी निवासी एवं वार्ड संख्या-18 के सामाजिक कार्यकर्ता भारत भूषर्ण ंसह उर्फ कारी का मानना है कि हमारे गांव को निगम गठन के वक़्त मटिहानी प्रखंड से जबरन हटाकर बेगूसराय नगर निगम में शामिल कर लिया गया जो युक्तिसंगत नहीं है। नगर निगम का हिस्सा बने लगभग एक दशक हो चले लेकिन हमारे गांव का सूरतेहाल नहीं बदला। निगम प्रशासन की उपेक्षा का दंश लवहरचक की जनता झेल रही है। यहां समस्याओं का अंबार लगा है। लेकिन देखने-सुनने वाला कोई नहीं है। क्षेत्र में गरीब एवं असहायों का जीना दुश्वार है।

नगर विकास की कल्याणकारी योजनाओं का कभी जनता को दर्शन ही नहीं हो पाया है। वार्ड पार्षद की आवाज़ भी फाइलों में दबा दी जाती है।

निगम क्षेत्र में आने के बाद गांव की ़खुशहाली अब बदहाली में तब्दील हो गई है। विकास की रौशनी कब आएगी इसका इंतज़ार क्षेत्र की जनता बेसब्री से कर रही है।

बेगूसराय नगर निगम क्षेत्र स्थित वार्ड नं. 10 के कपस्या कॉलोनी निवासी व परिवहन व्यवसायी अशोक कुमार सिंह का कहना है कि पूरे वार्ड की दारुण दशा को देख लीजिए तो सहज ही पता चल जाएगा कि नगर निगम किस मोड़ पर खड़ा है?

सड़क, पेयजल, बिजली, जल-निकासी एवं साफ-सफाई के भगवान ही मालिक हैं। बिजली के तार इस ़कदर लटके हुए हैं कि किसी भी समय कोई भी बड़ा हादसा सामने आ सकता है। निगम पार्षद का दोबारा टर्म है लेकिन आमजनों की समस्याएं जस की तस पड़ी हैं। फिलवक़्त जनता दवा छिड़काव एवं शीत लहर से निजात के लिए अलाव की शिद्दत से कमी महसूस कर रही है। आ़िखर वार्ड की इस लचर-पचर व्यवस्था का ज़्िाम्मेदार कौन है? निगम के मेयर साहब और नगर विधायक का आवास भी कपस्या ही है। लेकिन जन-सरोकार का काम पूरा होगा तभी लोग यह समझ पाएंगे कि नगर निगम की सार्थकता क्या है?

बेगूसराय के सामाजिक कार्यकर्ता पुष्कर प्रसाद सिंह बेगूसराय नगर निगम पर अपनी राय देते हुए कहते हैं, ‘‘बेगूसराय नगर निगम की वर्तमान स्थिति अंधेर नगरी, चौपट राजा जैसी है। बेडोल सड़क, खुला नाला, गंदगी का अंबार, जल-जमाव, प्रदूषण का बढ़ता ़कहर इस नगर निगम की ़खास पहचान बन गई है।’’

 पुष्कर आगे कहते हैं, ‘‘निगम कार्यालय कमीशन ़खोरी का अड्डा बनकर शहर वासियों के लिए शोषण-दोहन का केंद्र बना है। निगम कार्यालय में लूट-खसोट को नियंत्रण में करने का साहस किसी ने अबतक नहीं किया है। बे़काबू हालात से आम जनता आजिज़ आ चुकी है।

निगम के कार्यकाल का पांच साल पार्षदों के लिए वरदान बना तो आम जनता के लिए अभिशाप साबित हुआ।

निगम क्षेत्र के वार्ड संख्या-13 के निवासी फुलेंद्र कुमार का कहना है कि वार्ड के विकास का काम शून्य पर लटका पड़ा है। विकास की बात तो कोसों दूर शराब मा़िफयाओं का भारी तांडव मचा हुआ है। क्षेत्र की युवा पीढ़ी इस गोरखधंधे का शिकार होकर बर्बाद हो रही है। वार्ड में पानी, सड़क, जन वितरण एवं इंदिरा आवास आवंटन की स्थिति अत्यंत चिंतनीय है। क्षेत्रीय पार्षद निजी स्वार्थ के हित साधन में लगे है। नगर निगम की हालत तो यह है कि सफाई मज़दूरों को ड्रेस, ब्लॉग और मास्क तक भी मुहैया नहीं किया जाता है। सफाई कर्मियों की स्थाई नियुक्ति भी इस वार्ड में नहीं हुई। विकास के नाम पर का़गज़ी ख़ानापूर्ति की जाती है। निगम का चुनाव सामने खड़ा है और यहां की जनता किसी नए उम्मीदवार को उतारने की कोशिश कर रही है जो ईमानदारी और कर्मठता से पूरे वार्ड को सुव्यवस्थित कर सके। अवैध कार्यों पर रोक लगाकर विकास की आकृति बना सके।

बेगूसराय नगर निगम क्षेत्र संख्या-12 हर्रख के वरिष्ठ नागरिक मोहम्मद या़कूब का कहना है कि जब नगर निगम का चुनाव आता है तो बिकाऊ जनता पैसों के लोभ-लालच में बिकाऊ उम्मीदवार को चून लेती है जो कल्याणकारी योजनाओं को द़फन कर ऐशो आराम में अपना समय काटते हैं। ़खासकर विभिन्न वार्डों के अल्पसंख्यक मुहल्ले का हाल बेहद ़खराब है। किन-किन समस्याओं को गिनाया जाए? सभी की सभी समस्याएं तो जस की तस पड़ी हुई हैं। क्षेत्र की आम जनता सोच-समझकर ऐसे उम्मीदवार को चुने जो ईमानदारी पूर्वक जनता के कामों का ख़्याल रखे। इसी रास्ते से विकास का नया सूरज उगेगा। फिलहाल घना कोहरा छाया हुआ है।

बेगूसराय नगर निगम 13 के पप्पू गुप्ता का मानना है, -‘‘ पार्षद का यह कार्यकाल बेकार रहा। नल-जल, नाला, सफाई, स्ट्रीट लाइट एवं सड़कों की स्थिति बदहाल है। कूड़ों का अंबार लगा है। जिनका बोलवाला है, वहीं सफाई होती है। हरहर महादेव चौक गैरेज लाइन में कभी भी झाड़ू नहीं पड़े। ़गरीबों के अबतक राशन कार्ड नहीं बने। यहां मुंह देखकर काम होता है।’’

वे आगे कहते हैं कि बरसात में तो यह आलम हो जाता है कि सड़कें चलने लाय़क नहीं रह जाती हैं।

वार्ड संख्या-30 के सामाजिक कार्यकर्ता दिलीप सिंहा कहते हैं कि हमलोग बेगूसराय नगर निगम के मेयर से आशान्वित थे। इनके कार्यकाल में कुछ विशेष चमत्कार दिखाई देगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। बेगूसराय नगर निगम में 45 वार्ड हैं। एक भी वार्ड मॉडल वार्ड के रूप में स्थापित नहीं हो सका।

उन्होंने अपने वार्ड का उदाहरण देते हुए कहा कि मेरे वार्ड संख्या-30 की समस्याएं जस की तस बनी हुईं हैं। सफाई, सड़कें, नाला एवं ग़रीबों के लिए आवास योजना, वृद्धापेंशन, विधवा पेंशन से आज भी बहुत से लोग बंचित हैं। शहर के बीचो-बीच आज भी बहुत से लोग पन्नी टांगकर गुज़र-बसर कर रहे हैं। सभी तरह की समस्याओं को लेकर नगर निगम पूरी तरह फेल है।

एंटी क्रप्शन के राज्य अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार साहू का कहना है कि बेगूसराय नगर निगम का कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है। चुनाव होने वाला है। वर्तमान मेयर-पार्षद व निगम प्रशासन ने पूरे नगर निगम क्षेत्र को बदहाली के कगार पर पहुंचा दिया है। इन लोगों को एक ही काम दिखता है। सड़कें तोड़कर नाले बनवाना ताकि पब्लिक मनी की लूट हो सके। पूरे नगर निगम क्षेत्र में सड़कें ध्वस्त हैं। जल निकासी की समस्या गंभीर है। नालियां टूटी हैं। नाले हैं तो ढक्कन नहीं। नतीजतन सारा शहर जाम में फंसा रहता है। यहां के लोगों का जीना दुश्वार हो गया है। टैक्स के नाम पर नगर निगम का पैसा भ्रष्टाचारियों पर लूटा दिया जाता है। सरकार की जल-नल योजना पूरी तरह फेल है।

वार्ड संख्या-13 के सामाजिक कार्यकर्ता अखिलदेव सिंह बताते हैं कि बेगूसराय नगर निगम बदहाली के अंधकार में डूबा है। क्षेत्र के भीतर चाहे जी डी कॉलेज के भीतर की सड़कें हों, तेलिया पोखर की ओर जाने वाली सड़कें, गोशाला होकर रतनपुर जाने वाली सड़कें, पटेल चौक से कॉलेजिएट स्कूल एवं यहां से मस्जिद तक जाने वाली सड़कें, डॉ. प्रमिला चौक से चट्टी तक जाने वाली सड़कें, हरहर महादेव चौक से बीएमपी तक जाने वाली सड़कों की बदहाली और खस्ताहाली की जि़म्मेवारी कौन लेगा?

वे सवाल उठाते हुए आगे कहते हैं कि जल निकासी हो या पेयजल कीपाइप बिछाने का काम संकटग्रस्त क्यों बना है? बेगूसराय शहर को ़खूबसूरत, सुविधा संपन्न बनाने वाले मौन क्यों? वे जनता से छिपकर क्यों चल रहे हैं?

उनका कहना है कि हमारे ये सारे सुलगते सवाल  आने वाले निगम चुनाव में मुख्य मुद्दा होगा। उनका कहना है कि क्षेत्र की आम जनता जबतक नेतृत्व का बदलाव नहीं करेगी, तबतक उसका सपना साकार नहीं होगा।

नगर निगम बेगूसराय क्षेत्र के वार्ड नंबर 28 लोहिया नगर निवासी एवं सामाजिक कार्यकर्ता दीपक कुमार का मानना है कि क्षेत्र की आम जनता त्राहि-त्राहि कर रही है।  पूरे वार्ड की स्थिति का  मोआइना किया जाए तो पता चलेगा कि सड़कें, बिजली, नाला, जलजमाव की बदहाली और कूड़े-कचरे की ढेर ही इस वार्ड की पहचान बन गई है। वार्ड की पूरी जनता नारकीय जीवन जीने को विवश है। लेकिन इसकी पुकार सुनने वाला कोई नहीं है। हालांकि लोहिया नगर बेगूसराय नगर निगम का सबसे पिछड़ा वार्ड है। निगम पार्षद चुनाव जीतकर आते हैं लेकिन जनता और  जन समस्याओं से उनका कोई सरोकार नहीं बन पाता है। आलम तो यह है कि बड़ी  कॉलोनी  कहलाने वाली लोहिया नगर अब अपने ही सूरतेहाल से पस्त है। पांच साल के कार्यकाल को खुशहाल कहना बेईमानी होगी।