दूसरा मत
जलवायु परिवर्तन और उसका पर्यावरण पर प्रभाव विषय पर एक शानदार वेबिनार का आयोजन किया गया। गया के मिर्जा गालिब कॉलेज के बॉटनी विभाग ने विश्व पर्यावरण दिवस पर इसका आयोजन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के सचिव शबी आरफीन शमशी ने की। और कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुमैया शेख और विषय प्रवर्तन डॉ. मधुबाला ने किया।
डॉ. मधुबाला ने जलवायु परिवर्तन को स्पष्ट करते हुए कहा कि जब किसी क्षेत्र विशेष के औसत मौसम में परिवर्तन आता है, तो उसे जलवायु परिवर्तन कहा जाता है। स्वागत भाषण देते हुए कॉलेज के अध्यापक आफताब अहमद खान ने माना कि आज जो पूरे विश्व में जलवायु का परिवर्तन हो रहा है, उसका जिम्मेदार हमारी जीवन शैली है। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए प्रोफेसर अरविंद कुमार सिन्हा ने बताया कि पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होने से हिमनद पिघल रहे हैं और महासागर का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। दिन-ब-दिन बढ़ती हुई प्राकृतिक आपदाएं भी इसका मुख्य कारण हैं।
वेबिनार को आगे बढ़ाते हुए प्रोफेसर अताउर रहमान ने इस संकल्प को दोहराया कि हम सब को कम से कम एक पेड़ लगाने चाहिए। उन्होंने कहा कि यही पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर तापमान में संतुलन बनाए रखता है। उन्होंने यह भी कहा कि मलेरिया डेंगू कोविड जैसी बीमारियों का एक कारण जलवायु परिवर्तन भी है। उनका मानना था कि ग्रीन हाउस के उत्सर्जन में वृद्धि मानवीय गतिविधियों का ही दुष्परिणाम है।
अपने अध्यक्षीय भाषण में सचिव शबी आरफीन शमशी ने महाविद्यालय में इस तरह के कार्यक्रम की उपयोगिता पर बल दिया।
मिर्ज़ा ग़ालिब कॉलेज गया के मीडिया प्रभारी डा जियाउर रहमान जाफरी के मुताबिक, इस वेबीनार के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ मिनहाज आलम ने किया। इस वेबीनार में कॉलेज के प्राचार्य डा जलालुद्दीन अंसारी, उप प्राचार्य डा शुजाअत अली खान, डा सरवत शमशी समेत कॉलेज के अधिकांश प्राध्यापक के अलावा सौ से अधिक प्रतिभागियों ने भी अपनी शिरकत दर्ज की, जिनमें अत्यधिक संख्या में छात्र और छात्राएं उपस्थित रहीं।