एक संत के चेहल्लुम पर ग़मज़दा हुआ पूरा रेशमी शहर

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एख़लाक़ों के आईने में सबसे धनी थे शाह हसन मानीः फ़ख़रे आलम

 

15 दिसंबर, 1949 -18 अप्रैल,2021

 

दुनिया में रेशमी शहर के नाम से जाना जाने वाला बिहार का भागलपुर शहर अपनी रुहानी शक्तियों के केंद्र के रूप में स्थापित ख़ानकाह ए पीर दमड़िया को लेकर भी एक लंबे अरसे से जाना जाता है। इस शहर को इस ख़ानकाह ने रूहानी ताक़त से लेकर इंसानियत का तोहफ़ा तक दिया है।

भागलपुर ख़ानक़ाह ए पीर दमड़िया के 14वें सज्जादानशीं सैयद शाह हसन मानी नदवी साहब के 40वें के रस्म के मौक़े पर एक रुहानी और क़ुरआनी तिलावत का आयोजन किया गया। और उनकी रूह को सकून फरमाने और उन्हें जन्नत उल फिरदौस में आला मुक़ाम अता फ़रमाने की लोगों ने मिलकर दुआएं की। कुरआन ए पाक की इस मौके पर तिलावत की गई। और उसके तुफैल में उनके दर्जात को बुलंद करने की मौजूद लोगों ने हाथ उठाकर दुआएं की।इस दुआ के दरम्यान सभी लोगों की ज़ुबां से उनकी मग़फ़िरत की दुआएं निकलीं। सबने मानी साहब की मग़फ़िरत और जन्नत में आला मुक़ाम अता करने के लिए दिल से दुआएं की।

इस मौक़े पर ख़ानक़ाह ए पीर दमड़िया के 15वें सज्जादानशीं शाह फ़ख़रे आलम हसन ने अपने पूर्वर्ती सज्जादानशीं मरहूम सैयद शाह हसन मानी नदवी साहब के बारे में अपनी राय का इज़हार करते हुए कहा कि हज़रत मानी साहब का एख़लाक़ में कोई दूसरा सानी नहीं था। वो एक मुतक्की व परहेज़गार थे। उनकी पूरी की पूरी ज़िंदगी अल्लाह की इबादत और इंसानियत के फ़रोग़ में गुज़री। उनसे मिलनसार होने की कहानी पूरे भागलपुर की ज़ुबान पर है। उन्होंने हमेशा बेबस, परेशान और बेसहारा लोगों की दिलजोई की।

उन्होंने कहा कि उनमें लोगों की मदद के लिए आगे आने का एक बेपनाह जज़्बा था। वे लोगों के दुख-दर्द को दूर करने के लिए हमेशा सामने खड़े नज़र आते थे। उनका मुस्कुराहट भरा चेहरा आज लोग खोज रहे हैं। और उनकी मौजूदगी नहीं होने से पूरा का पूरा परिसर रोता हुआ और ग़मज़दा नज़र आ रहा है। उनके अचानक चले जाने का दर्द से सिर्फ़ परिवार वाले ही बेचैन नहीं हैं बल्कि पूरा भागलपुर शहर उनके न होने का मलाल अपने मन में लिए हुए है।

ग़ौरतलब है कि 18 अप्रैल, 2021 को 71 साल, 4 महीना, 3 दिन के बाद इस फानी दुनिया को सैयद शाह हसन मानी साहब अलविदा कह दिया था। और उनके निधन के बाद यह चेहल्लुम का आयोजन किया गया था। जिसमें परिवार, पड़ोस और रिश्तेदार मौजूद हुए थे। लॉक डाउन और कोरोना की गाइडलाइन का पालन करते हुए उनके चाहने वालों और उनके मुरीद इस आयोजन में शरीक नहीं हो पाए।

मालूम हो कि हसन मानी साहब भागलपुर की एक हस्ती थे। उन्होंने भागलपुर की हमेशा सामाजिक रहनुमाई की। रुहानियत से सराबोर हसन मानी साहब ग़ैर मुस्लिमों के बीच भी काफी मशहूर थे। उन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए काम किया। आज उनके नहीं होने पर पूरा भागलपुर शहर ग़मगीन है। इसलिए कि दूसरा मानी इस शहर को अब कहां से मिलेगा? यही मलाल लोगों के दिलों को अब भी साल रहा है।

चेहल्लुम के इस मौक़े पर शाह फ़ख़रे आलम हसन, सैयद नेहाल अहसन, सैयद मुमताज अहसन, सैयद मंजर हुसैन, सैयद मनाज़िर शाह, डॉ एजाज़ हसन, सैयद मोहिउद्दीन शाह, सैयद मोहम्मद आसिफ़, हाफ़िज अबूल कैश समेत एक बड़ी तादाद में लोग शामिल थे।

रिपोर्ट दूसरा मत ब्यूरो

 

एक कार्यक्रम में धर्म गुरुओं के बीच स्व. हज़रत शाह हसन मानी साहब बाएं से चौथे