Tag: जी चाहता है देश के लिए कुछ दुआ मांग लूं
सोचता हूं देश को दुआ दे दूं
कविता
रमज़ान
ए आर आज़ाद
मेरे
शिद्दत भरे प्यासे होंठ
जेठ
की दोपहरी में
रेगिस्तान की तरह तप रहे हैं
आंखों में आब उतर आया है
नज़रों में
भूख की भट्टी में
तपते बेसहारा लोगों...