अब कैसे साफ करेंगे अपने चेहरे को नीतीश कुमार?

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ए आर आज़ाद

पप्पू यादव का राजनीतिक क़द किसी माय़ने में भी उनके समकक्षी नेताओं से कम नहीं है। वे तो सांसद रहें हीं। उनकी पत्नी तक सांसद रही हैं। यह गौरव बिहार के किस नेता के पास है, ज़रा नाम तो बताएं। क्या इस गौरव से ख़ुद नीतीश कुमार आलोकित हैं? क्या सुशील मोदी आलोकित हैं? ऐसा गौरव सिर्फ लालू प्रसाद यादव को ही मिला है। अपने भी मुख्यमंत्री और पत्नी भी मुख्यमंत्री रही हैं। ज़ाहिर सी बात है पप्पू यादव आरजेडी के निशाने पर थे।

 

अब कैसे साफ करेंगे अपने चेहरे को नीतीश कुमार? यह सवाल बिहार की जनता के सामने हवा में तैर रहा है। दरअसल नीतीश कुमार एक शालीन और परिपक्व राजनेता होते हुए भी एक ऐसी ग़लती कर दी, जिसका लगान उनको ज़िंदगी भर देना पड़ेगा। एक सियासी और शोहरत के बुलंदी पर पहुंच चुके राजनेता को इनती जल्दबाज़ी नहीं करनी चाहिए थी। पप्पू यादव की आपराधिक पृष्ठभूमि कोई आज की नहीं है। वे तो इसे बहुत पीछे छोड़कर जनता के हित में खुलकर मैदान में दिखने वाले राजनेता के तौर पर शुमार हो गए हैं। पप्पू यादव का राजनीतिक क़द किसी माय़ने में भी उनके समकक्षी नेताओं से कम नहीं है। वे तो सांसद रहें हीं। उनकी पत्नी तक सांसद रही हैं। यह गौरव बिहार के किस नेता के पास है, ज़रा नाम तो बताएं। क्या इस गौरव से ख़ुद नीतीश कुमार आलोकित हैं? क्या सुशील मोदी आलोकित हैं? ऐसा गौरव सिर्फ लालू प्रसाद यादव को ही मिला है। अपने भी मुख्यमंत्री और पत्नी भी मुख्यमंत्री रही हैं। ज़ाहिर सी बात है पप्पू यादव आरजेडी के निशाने पर थे। इसलिए कि उन्होंने आरजेडी को 2020 में सत्ता पर क़ाबिज़ नहीं होने दिया। ज़ाहिर है, समय का लाभ आरजेडी ने लिया और यह मान लिया कि हम काम कर जाएंगे और नाम बीजेपी का लगेगा। और ऐसा ही हुआ। पप्पू यादव की ओर से यह नीतीश कुमार पर आरोप लगा कि बीजेपी के कहने पर नीतीश कुमार ने पप्पू यादव को गिरफ़्तार किया।

बिहार में नीतीश कुमार का चेहरा बेदाग़ रहा है। लेकिन कुछ कामों की वजह से उनके बेदाग़ चेहरे पर भी दाग़ का कुछ छींटा गाहे-ब-गाहे लगता ही रहा है। अब इस छींटे को साफ करना नीतीश कुमार के वश में भी है नहीं, उन्हें ही यह सब पता होगा। लेकिन इतना तय है कि पप्पू यादव को गिरफ़्तार करने का उनका फैसला कहीं से परिपक्व फैसला नहीं था। इस फैसले से जनता में उनकी छवि ख़राब हुई है। और राष्ट्रीय व क्षेत्रीय दलों के बीच भी एक पैग़ाम गया है कि अब नीतीश कुमार दुर्भावना से प्रेरित होकर भी बदला लेने लगे हैं। और अगर सही मायने में यह मैसेज सब के मन में बैठ गया हो तो फिर नीतीश कुमार की राजनीति के लिए यह अशुभ संदेश है। इसलिए नीतीश कुमार को चाहिए कि वो अपने फैसलों पर पुनर्विचार करें। और अदालत का फैसला अदालत पर छोड़ दें। वे किसी भी दुर्भावनाओं से प्रेरित होकर सियासी बदला न लें। या फिर किसी सियासी लोभ-लालच में किसी तरह का का बदला न लें। इस कोरोना काल में पप्पू यादव जैसे नेताओं की बिहार और देश में बहुत ज़रूरत है। ऐसा इसलिए कि जब बिहार में ज्यादातर नेता चूहे की तरह बिल में घूसे हैं, वैसे समय में अगर कोई शेर दिल इंसान जनता की सुध लेने के लिए रोड पर निकल रहा है तो उन्हें दाद देनी चाहिए। उनकी तारीफ़ करनी चाहिए। सरकार को उनका शुक्रिया अदा करनी चाहिए न कि इस काम के लिए सज़ा देनी चाहिए।

अगर नीतीश कुमार इस पर गंभीरता से विचार नहीं किया तो फिर सियासी बदले की खेती बिहार में जब शुरू हो जाएगी तो फिर नीतीश कुमार भी उस आग की आंच में कहां बच पाएंगे? नीतीश कुमार तो सदा के लिए मुख्यमंत्री रहेंगे नहीं। कोई न कोई दूसरा मुख्यमंत्री आएगा। और हो सकता है कि पप्पू यादव ही बतौर मुख्यमंत्री बिहार की गद्दी पर बैठ जाएं। क्योंकि सियासत में कभी भी कुछ भी हो सकता है। और तब जब पप्पू यादव या कोई और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को किसी नए या पुराने मामले में लपटे लें तो फिर खेला तो हो ही जाएगा ना। इसलिए इस परंपरा को रिवाज बनने से पहले ही ख़त्म कर दीजिए वरना आने वाले दिनों के लिए यह आपके गले का ही फांस बनकर रह जाएगा। आप बहुत समझदार हैं- नीतीश कुमार जी। थोड़ी समझदारी से काम लीजिए। पप्पू यादव को फिलहार रिहा कर दीजिए। और अदालत व प्रशासन पर यह काम छोड़ दीजिए। जब अदालत और प्रशासन इस उन्हें 30-35 साल में सज़ा देना मुनासिब नहीं समझा तो आप 35 मिनट में सज़ा देने के लिए क्यों उतारू हो गएं?

 

इसलिए नीतीश कुमार को चाहिए कि वो अपने फैसलों पर पुनर्विचार करें। और अदालत का फैसला अदालत पर छोड़ दें। वे किसी भी दुर्भावनाओं से प्रेरित होकर सियासी बदला न लें। या फिर किसी सियासी लोभ-लालच में किसी तरह का का बदला न लें। इस कोरोना काल में पप्पू यादव जैसे नेताओं की बिहार और देश में बहुत ज़रूरत है। ऐसा इसलिए कि जब बिहार में ज्यादातर नेता चूहे की तरह बिल में घूसे हैं, वैसे समय में अगर कोई शेर दिल इंसान जनता की सुध लेने के लिए रोड पर निकल रहा है तो उन्हें दाद देनी चाहिए। उनकी तारीफ़ करनी चाहिए। सरकार को उनका शुक्रिया अदा करनी चाहिए न कि इस काम के लिए सज़ा देनी चाहिए।