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कविता-मजदूर
सीने में जख्म लिए
चेहरे पर मुस्कान,
माथे पर पसीना
करता नवनिर्माण ।
अपनों से दूर
सपनों में खोकर
गीत नया गाता
भरपेट नहीं खा पाता ।
टूटता-बिखरता
पर भय नहीं खाता
वह सीधा-साधा
जग...