पदमश्री डॉ. रामदरश मिश्र को आचार्य ‘हाशमी’ स्मृति पुरस्कार- 2025

देश के जानेमाने साहित्यकार पदमश्री डॉ. रामदरश मिश्र को आचार्य ‘हाशमी’ स्मृति पुरस्कार- 2025 से नवाज़ा गया। शुक्रवार 30 मई, 2025 की संध्या, यह पुरस्कार द्वारका स्थित उनके आवास पर ‘दूसरा मत’ के संपादक एवं 32 पुस्तकों के लेखक ए आर आज़ाद एवं बाल कहानीकार व ‘मेघ देवता’ के लेखक सैयद असद आज़ाद ने सम्मानपूर्वक और गौरवमयी अंदाज़ में प्रदान किया।
आचार्य ‘हाशमी’ स्मृति पुरस्कार में उन्हें शील्ड, शॉल, प्रशस्ति-पत्र एवं 2100 रुपए की नगद राशि प्रदान की गई। इस अवसर पर उन्हें हाल ही में प्रकाशित ‘दूसरा मत’ ग़ज़ल-विशेषांक भी भेंट की गई। इस ग़ज़ल-विशेषांक पर अपनी बेबाक राय रखते हुए पदमश्री डॉ. रामदरश मिश्र ने कहा कि यह अंक पहली ही नज़र में लोगों को अपनी ओर खींच लेता है। उन्होंने अंदर के पृष्ठों को पलटने के बाद अपनी दूसरी प्रतिक्रिया में कहा कि यह शानदार अंक है। और आपने बड़े ही श्रम से इसे जानदार बना दिया है। उन्होंने अपने आशीर्वचन में कहा कि आपको इसके लिए बहुत-बहुत बधाई।
पुरस्कार वितरण के बाद आधे घंटे की गपशप में उन्होंने कई साहित्यिक प्रकरण पर चर्चा की। और अपने सुखद जीवन के संदर्भ पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि उम्र के इस पड़ाव पर भी लोगों का विशेषकर साहित्यकारों और पत्रकारों का प्यार मिल रहा है। आए दिन लोगबाग मिलने आते हैं। और टेलीफोन से हालचाल लेते रहते हैं। उन्होंने अपने परिवार के प्रति आभार व्यक्त किया। और कहा कि पूरे परिवार का प्रेम और सानिध्य हमें मिल रहा है। यह हमारे लिए सुखद और मन को गौरवान्वित करने वाला है।
उन्होंने आज की ग़ज़ल पर भी चर्चा की। और कहा कि ग़ज़ल में उर्दू के अल्फ़ाज़ों के मिश्रण से ग़ज़ल बेहतरीन बन जाती है। उर्दू और हिन्दी तो दोनों बहन की तरह है। दोनों मिलकर ग़ज़ल को बेहतरीन बना देती है।
मालूम हो कि नामवर साहित्यकार पदमश्री डॉ. रामदरश मिश्र को आचार्य ‘हाशमी’ स्मृति पुरस्कार से पहले कई महत्वपूर्ण और गौरवान्वित करने वाले पुरस्कार मिल चुके हैं। उन्हें पदमश्री से नवाज़ा जा चुका है। इसके साथ ही साथ उन्हें साहित्य अकादेमी का पुरस्कार भी प्रदान किया गया है। उन्हें सरस्वती सम्मान और व्यास सम्मान जैसे महत्वपूर्ण पुरस्कार से भी विभूषित किया जा चुका है।
डॉ. रामदरश मिश्र देश के एक प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। इन्होंने अपने शतायु से दो क़दम आगे के दीर्घायु जीवन से साहित्य को समृद्ध ही नहीं बल्कि बेहतर भी किया है। उनकी पहली प्रकाशित कविता ‘चांद’ है। उनका पहला काव्य-संग्रह ‘पथ के गीत’ 1951 में प्रकाशित हुआ।
प्रकाशित कृतियां
काव्य: पथ के गीत, बैरंग – बेनाम चिट्ठियां, पक गई है धूप, कंधे पर सूरज, दिन एक नदी बन गया, मेरे प्रिय गीत, बाजार को निकले हैं लोग, जुलूस कहां जा रहा है?, रामदरश मिश्र की प्रतिनिधि कविताएं, आग कुछ नहीं बोलती, शब्द सेतु, बारिश में भीगते बच्चे, हंसी ओठ पर आंखें नम हैं (ग़ज़ल-संग्रह), बनाया है मैंने ये घर धीरे-धीरे (ग़ज़ल-संग्रह)।
उपन्यास: पानी के प्राचीर, जल टूटता हुआ, सूखता हुआ तालाब, अपने लोग, रात का सफÞर, आकाश की छत, आदिम राग, बिना दरवाज़ा का मकान, दूसरा घर, थकी हुई सुबह, बीस बरस, परिवार, बचपन भास्कर का, एक बचपन यह भी, एक था कलाकार ।
कहानी-संग्रह : खाली घर, एक वह, दिनचर्या, सर्पदंश, बसंत का एक दिन, इकसठ कहानियां, मेरी प्रिय कहानियां, अपने लिए, अतीत का विष, चर्चित कहानियां, श्रेष्ठ आंचलिक कहानियां, आज का दिन भी, एक कहानी लगातार, फिर कब आएंगे?, अकेला मकान, विदूषक, दिन के साथ, मेरी कथा यात्रा, विरासत, इस बार होली में, चुनी हुई कहानियां, संकलित कहानियां, लोकप्रिय कहानियां, 21 कहानियां, नेता की चादर, स्वप्नभंग, आख़िरी चिट्ठी, कुछ यादें बचपन की (बाल-साहित्य), इस बार होली में, जिंदगी लौट आई थी,एक भटकी हुई मुलाक़ात, सपनों भरे दिन, अभिशप्त लोक, अकेली वह।
ललित निबंध: कितने बजे हैं, बबूल और कैक्टस, घर-परिवेश, छोटे-छोटे सुख, नया चौराहा, लौट आया हूं मेरे देश।
आत्मकथा: सहचर है समय।
यात्रावृत्त: घर से घर तक, देश- यात्रा।
डायरी: आते – जाते दिन, आस-पास, बाहर भीतर, विश्वास जिंदा है, सुख दु:ख के राग।
रचनावली: 14 खंडों में, कविता समग्र, कहानी समग्र।
संचयन:बूंद-बूंद नदी, नदी बहती है, दर्द की हंसी, सरकंडे की क़लम।
आलोचना:
- हिंदी आलोचना का इतिहास (हिंदी समीक्षा: स्वरूप और संदर्भ, हिंदी आलोचना प्रवृत्तियां और आधार भूमि),
- ऐतिहासिक उपन्यासकार वृन्दावन लाल वर्मा,
- साहित्य: संदर्भ और मूल्य,
- हिंदी उपन्यास एक अंतर्यात्रा,
- आज का हिंदी साहित्य संवेदना और दृष्टि,
- हिंदी कहानी: अंतरंग पहचान,
- हिंदी कविता आधुनिक आयाम (छायावादोत्तर हिंदी कविता),
- छायावाद का रचनालोक,
- आधुनिक कविता: सर्जनात्मक संदर्भ,
- हिंदी गद्यसाहित्य: उपलब्धि की दिशाएं,
- आलोचना का आधुनिक बोध
संस्मरण:
स्मृतियों के छंद, अपने-अपने रास्ते, एक दुनिया अपनी, सहयात्राएं, सर्जना ही बड़ा सत्य है, सुरभित स्मृतियां।
साक्षात्कार: अंतरंग, मेरे साक्षात्कार, संवाद यात्रा