एक सशक्त महिला मनीषा उपाध्याय की प्रेरणादायक यात्रा

मीडिया, पत्रकारिता, फिल्म निर्माण और साहित्य के क्षेत्र में अपना बहुमूल्य योगदान देने वाली मनीषा उपाध्याय आज भारतीय महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनके व्यक्तित्व की बहुआयामी उपलब्धियां यह दशार्ती हैं कि अगर संकल्प और समर्पण हो, तो किसी भी क्षेत्र में सफलता पाई जा सकती है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर हम उनकी असाधारण यात्रा पर प्रकाश डालते हैं।
मनीषा उपाध्याय ने अपने करियर की शुरूआत मीडिया जगत में की। और शीघ्र ही अपनी प्रभावशाली रिपोर्टिंग और प्रस्तुति कौशल के कारण शीर्ष पत्रकारों में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने 18 वर्षों तक इंडिया टीवी, ईटीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया जैसे प्रतिष्ठित समाचार चैनलों में वरिष्ठ संपादकीय पदों पर कार्य किया। उनकी खोजी पत्रकारिता ने कई सनसनीखेज खुलासे किए। इनमें आम आदमी पार्टी में भ्रष्टाचार का पदार्फाश करने वाली ‘मिशन लोकपाल’ रिपोर्ट शामिल है। इसके अलावा, उन्होंने स्वयंभू संत आसाराम बापू के आपराधिक कृत्यों को उजागर करने वाले ‘ऑपरेशन हे राम’ नामक विशेष रिपोर्ट की प्रस्तुति की।
उनकी पत्रकारिता में निडरता और निष्पक्षता का परिचय उनकी उस रिपोर्ट से मिलता है, जिसे शाहजहांपुर दुष्कर्म मामले में जोधपुर उच्च न्यायालय में साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया गया। उनके निर्देशित डॉक्यूमेंट्री ‘टू फेसेस ऑफ कश्मीर’ को संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय जिनेवा में अंतरराष्ट्रीय सांसदों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के सामने प्रदर्शित किया गया।
मनीषा उपाध्याय की क्षमताएं केवल पत्रकारिता तक सीमित नहीं हैं। उन्होंने टेलीविजन और सिनेमा में भी अपनी रचनात्मकता का परिचय दिया। वे एशिया के पहले महिला केंद्रित चैनल ‘फोकस टीवी’ और पहले मैट्रिमोनियल चैनल ‘शगुन टीवी’ की प्रोग्रामिंग प्रमुख भी रही हैं। उन्होंने 20 से अधिक टेलीविजन शो का निर्देशन और निर्माण किया, जिनमें ‘दिल पे मत ले यार’, ‘बोलो ग्राहक बोलो’ और ‘क्योंकि रात अभी बाकी है’ जैसे शो प्रमुख हैं।
एक लेखिका के रूप में भी उन्होंने अपनी पहचान बनाई। उन्होंने 2000 से अधिक टेलीविजन एपिसोड और डॉक्यूमेंट्रीज की स्क्रिप्ट लिखी हैं। उनकी लिखी हुई एक गजल ‘इश्क-क्लिक’ फिल्म में शामिल की गई थी, जिसे प्रसिद्ध गायक अंकित तिवारी ने गाया था। उनकी आत्मकथा ‘अनकवर – क्रॉनिकल्स ऑफ ट्रायल्स एंड ट्राइंफ्स’ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित हुई और 150 से अधिक देशों में उपलब्ध है। उनकी आगामी पुस्तक ‘द आर्ट ऑफ पॉलिटिक्स’ भारत में राजनीतिक नेतृत्व के प्रशिक्षण पर केंद्रित पहली पुस्तक होगी।
मनीषा उपाध्याय केवल मीडिया और साहित्य तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि उन्होंने राजनीति और सामाजिक क्षेत्र में भी अपनी अलग पहचान बनाई। वे 2017-2019 के दौरान अखिल भारतीय हिंदू महासभा की राष्ट्रीय प्रवक्ता बनने वाली पहली महिला थीं। वे उपभोक्ता मामलों के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय संयुक्त सचिव भी हैं।
उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया है, जिनमें ‘अटल बिहारी वाजपेयी सम्मान’, ‘राजीव गांधी रत्न पुरस्कार’, ‘स्वामी विवेकानंद यूथ आइकॉन अवार्ड’ और ‘वी.वी. गिरी जर्नलिज्म ऑफ करेज अवार्ड’ शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, उन्हें विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रमुख वक्ता और मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है।
मनीषा उपाध्याय की यात्रा न केवल सफलता की कहानी है, बल्कि यह उन सभी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो अपने सपनों को साकार करने की हिम्मत रखती हैं। उनकी उपलब्धियां यह सिद्ध करती हैं कि अगर संकल्प, निडरता और समर्पण हो, तो कोई भी बाधा सफलता की राह में रोड़ा नहीं बन सकती। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के इस विशेष अवसर पर हम मनीषा उपाध्याय जैसी सशक्त महिलाओं को सलाम करते हैं, जिन्होंने समाज में बदलाव लाने और महिलाओं को आगे बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त किया है।