ट्रांसजेंडर के लिए सहायता और जनमानस का लगाव आवश्यकः अमरेंद्र खटुआ
डॉ. अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र की सहायता से ट्रांसजेंडर की दवंद्व और दिशा पर चर्चा
खादी सांस्कृतिक कार्यक्रम में ट्रांसजेंडर बने प्रतिभागी
03 दिसंबर 2025 को दिल्ली के डॉ. अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में “ट्रांसजेंडर: यात्राएँ उजागर” विषय पर पैनल चर्चा आयोजित हुई। संवाद की शुरूआत और अपने स्वागत भाषण में डीएआईसी के निदेशक कर्नल आकाश ने अकादमिक शोध के जरिए भारत के सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन में योगदान के प्रयासों पर प्रकाश डाला। और ट्रांसजेंडर के मुद्दों संवेदनशीलता के साथ सरकारी मंशा को अमली जामा पहनाने की जरूरत पर जोर दिया।

इस पैनल चर्चा में मुख्य रूप से तीन लोगों की भागीदारी अहम रही। विदेश मंत्रालय के पूर्व सचिव अमरेंद्र खतुआ, प्रमुख ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता, TWEET फाउंडेशन की संस्थापक अभिना अहर एवं राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध ट्रांसजेंडर अधिकार अधिवक्ता, मित्र ट्रस्ट के संस्थापक रुद्रानी छेत्री ने अपने ताजा विचारों से एक नई रौशनी डाली। उन्होंने जिक्र किया कि सुप्रीम कोर्ट ने “तीसरे लिंग” के रूप में उन्हें कानूनी मान्यता दी। और इस मान्यता से उनके मौलिक अधिकारों की पुष्टि कर दी।
विदेश मंत्रालय के पूर्व सचिव, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के पूर्व महानिदेशक और मिलेनियम चैंबर ऑफ कॉमर्स के निदेशक अमरेंद्र खटुआ ने कहा कि भारत विविधता वाला एक विशाल देश है। यहां की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति और परिस्थिति भी भिन्न-भिन्न हैं। ऐसी स्थिति में ट्रांसजेंडर के लिए रोजगार, स्वास्थ्य और आवास के साथ-साथ वृद्धावस्था सहायता और जनमानस का लगाव आवश्यक है।

प्रमुख ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता, TWEET फाउंडेशन की संस्थापक अभिना अहर ने अपने उदबोधन में कहा कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को मुख्यधारा में लाने और कलंक को कम करने के लिए जागरूकता अभियान की जरूरत है। इस जरूरत को पूरा करने के लिए उन्होंने नालसा जैसे फैसले का उदारहरण पेश किया। उन्होंने आगे कहा कि आज नए सिरे से ट्रांसजेंडर को लेकर समाज को संवेदनशील बनाने की ज़रूरत है। उन्होंने ट्रांसजेंडर समुदाय से आग्रह पूर्वक कहा कि वे 2019 अधिनियम के प्रावधानों को समझने की कोशिश करें।
इस मौके पर अपने विचार व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध ट्रांसजेंडर अधिकार अधिवक्ता, मित्र ट्रस्ट के संस्थापक रुद्राणी छेत्री ने कानून और उसके अमल को लेकर चिंता और आक्रोश साझा तौर पर व्यक्त किया। उन्होंने इस मसले पर आधारित कानूनों को एक कंकाल की संज्ञा दी। उन्होंने अपने सुझाव में कहा कि इस कंकाल को सार्थकता प्रदान करने के लिए रक्त और मांस की जरूरत है।
कार्यक्रम के दौरान विभिन्न ज्वलंत सवालों के भी जवाब दिए गए हैं। और सार्थक प्रयासों से कैसे इस समुदाय के साथ भेदभाव दूर कर एक सामाजिक लगाव और सरकारी प्रयास को सार्थक किया जा सकता है, इसपर भी खुलकर विचार-विमर्श हुआ।

इस कार्यक्रम में समुदाय के नेताओं, नीति निर्माताओं, छात्रों और कार्यकर्ताओं की भी उपस्थिति रही। निष्कर्ष में यह पैनल डिसकशन अनुभव साझा करने और सामाजिक लाभ के लिए बदलावों की सिफ़ारिश करने का एक मंच साबित हुआ।
इस कार्यक्रम के एक अंतराल के बाद गायक श्रीजू प्रेमरंजन की पेशकश शुरू हुई। इस मौके पर डिज़ाइनर रोज़ी अहलूवालिया ने खादी, समावेशिता और ट्रांसजेंडर समुदाय के समर्थन पर बात की। और इसी के साथ और “द वॉक फॉर डिग्निटी” की शुरुआत हुई।
मालूम हो कि इस खादी सांस्कृतिक कार्यक्रम में ट्रांसजेंडर प्रतिभागियों ने भाग लिया। और इस तरह से “वी द पीपल” का समारोह अपने समापन पर पहुंचा।
दूसरा मत के लिए सैयद असद आज़ाद की रिपोर्ट
